पीलीभीत: बरेली को अपना प्रसिद्ध 'झुमका' चौक मिलने के बाद, यह अब पीलीभीत है जिसे बांसुरी के निर्माण के साथ जिले के कनेक्शन को दर्शाने वाला अपना 'बांसुरी चौक' मिल गया है. बसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को बांसुरी चौक जनता को समर्पित किया गया. चौक जो शहर में प्रवेश बिंदु को चिन्हित करता है, पहले असम चौक के रूप में जाना जाता था.


यह शहर का एक प्रमुख 'सेल्फी पॉइंट' भी होगा जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भारत में बांसुरी का 90 प्रतिशत हिस्सा निर्मित होता है. पीलीभीत हस्तनिर्मित उत्तम-गुणवत्ता वाली बांस की बांसुरी के लिए प्रसिद्ध है, इन्हें मुख्य रूप से मुस्लिम कारीगरों द्वारा तैयार की जाती हैं. अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित विदेशों में इसकी बहुत मांग है.


बांसुरी चौक, पारंपरिक बांसुरी उद्योग को भी बढ़ावा देगा


एक 'बांसुरी चौक' विकसित करने का विचार पिछले साल तब आया था जब बरेली को उसका 'झुमका' चौक मिला जहां झुमके की एक बड़ी प्रतिकृति स्थापित की गई. राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक विशेष रूप से विकसित क्रॉसिंग पर एक विशाल 'झुमका' के अनावरण के बाद बरेली को जबरदस्त प्रचार मिला.


सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, भारतीय संगीत वाद्ययंत्र का निर्माण करने वाले 150 वर्षीय उद्योग को प्रदर्शित करने की परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी 'एक जनपद-एक उत्पाद' (ओडीओपी) कार्यक्रम के तहत आई है, जिसका उद्देश्य राज्य के उत्पादों और शिल्प को प्रोत्साहित करना है. उन्होंने कहा, "लेकिन इससे पहले कि हम इसे दुनिया के सामने प्रदर्शित करें, हमें शिल्प और इसके शहर को अपने निवासियों के बीच लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है." बांसुरी चौक, पीलीभीत शहर में ऐतिहासिक स्थल बनने के साथ ही इसके पारंपरिक बांसुरी उद्योग को भी बढ़ावा देगा.


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