UP Assembly Election 2022: फिरोजाबाद (Firozabad) चूड़ियों का शहर (City ​​of Bangles) है. जहां पर महिलाओं को पहनने के लिए चूड़ियां तो बनाई जाती हैं. जिन की सप्लाई पूरे भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी होती है. लेकिन अगर राजनीति की बात करें तो अभी तक के रिकॉर्ड में जिले में किसी भी विधानसभा से कोई महिला विधायक यहां नहीं बनी है. इसको लेकर एबीपी गंगा ने महिलाओं और कुछ पुरुषों से बात की. इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार और एक टीचर से भी बात की तो सबकी अपनी अलग-अलग राय थी.


क्या बोली महिलाएं
स्थानीय महिला पूनम गुप्ता ने बताया कि हमारे समाज में महिलाओं को वह दर्जा नहीं दिया जाता. उन्हें घर के चौका बर्तन के काम में ही लगाए रहते हैं. कुछ पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं, जो नौकरियां कर रही हैं. लेकिन जो महिलाएं कम पढ़ी-लिखी हैं, अपने घर के काम में इतनी व्यस्त रहती हैं वह आगे बढ़ी नहीं पाती हैं. महिलाओं को छूट नहीं दी जाती कि वह जाकर इलेक्शन लड़े और आगे राजनीति में भाग ले. उन्हें घर के काम में ही लगा दिया जाता है क्योंकि यह शुरू से चला आ रहा है. हमारा देश है पुरुष प्रधान देश है, लेकिन अब बदलाव हुआ है, महिलाएं आगे बढ़ रही हैं.


पार्टियों पर लगाया ये आरोप
अमित कुमार का कहना है कि महिलाओं को राजनीति में आगे आना चाहिए. लेकिन राजनीतिक पार्टी उन्हें टिकट ही नहीं देती इसलिए वह आगे नहीं आ पाती. प्रियंका गांधी जी ने महिलाओं के लिए किया तो है लेकिन राजनीति में वह प्रभाव नहीं है. वह बहुत कम पार्टियां टिकट देती हैं, वे महिलाओं का बस वोट लेना जानती हैं. लेकिन उन्हें आगे राजनीति में नहीं लाना चाहती हैं.


क्या बोलीं प्रोफेसर
महात्मा गांधी डिग्री कॉलेज फिरोजाबाद की प्रोफेसर संध्या द्विवेदी ने बताया कि देखिए हमारा समाज बदल रहा है. लेकिन उस स्थिति तक नहीं बदला जिस तरह बदलना चाहिए क्योंकि यहां समाज पुरुषवादी है. वह महिलाओं को आगे नहीं करना चाहता. उन्हें अपने कब्जे में कर रखा है, लेकिन विधायक पद की बात करें तो अभी तक महिलाएं वहां नहीं पहुंच पाई हैं. लेकिन बदलाव हुआ है और एक दिन ऐसा भी आएगा कि महिलाएं विधायक बनेगीं.


क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार दिवजेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि फिरोजाबाद में अभी तक कोई महिला विधायक नहीं बनी है. लेकिन प्रयास तो कई लोगों ने किया है. यहां महिला प्रत्याशी इतनी सक्षम सशक्त नहीं हो पाई जो जनता को नेतृत्व देने में सफल हो सकें. रही बात प्रियंका गांधी की, उन्होंने तीन विधानसभाओं से महिला प्रत्याशी को टिकट दी है. वह सिर्फ चुनाव में अपनी उपस्थिति और अपनी पार्टी की उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. इतनी क्षमता नहीं है कि वह नेतृत्व कर सकें.


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