UP Assembly Election 2022: कांग्रेस पार्टी से लगातार पांच बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री आरपीएन सिंह का अपनी सैथवार जाति में अच्छी पकड़ मानी जाती है. आरपीएन सिंह यूपीए-2 की सरकार में सड़क, ट्रांसपोर्ट एवं कारपोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री तथा पेट्रोलियम व गृह राज्यमंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस पार्टी द्वारा अनदेखी का आरोप लगाते हुए वह अब कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के साथ हो गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने के बाद आरपीएन सिंह को उनकी कमी पूरी करने के लिए पार्टी में शामिल कराया गया है.


कैसा रही है राजनीति
कहीं न कहीं RPN सिंह को भी यह लग रहा था कि अभी आने वाले दस सालों में कांग्रेस सत्ता में नहीं आने वाली है. जब सत्ता में आएगी तब तक इनकी उम्र भी काफी हो चुकी रहेगी. सत्ता की लोलुपता ने आरपीएन सिंह को बीजेपी में शामिल होने को मजबूर किया. पांच बार लोकसभा का चुनाव लड़े आरपीएन सिंह 2009 से 2014 तक एक बार सांसद चुने गए थे. केंद्र में मंत्री भी बने. उसके बाद 2014 में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद आरपीएन लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं. उसके बाद यह छत्तीसगढ़ के भी पार्टी के प्रभारी रह चुके हैं. वर्तमान में वे झारखंड के प्रभारी थे और यहां कांग्रेस व जेएमएम गठबंधन की सरकार है. 


कुशीनगर जनपद में पांच सीट
उत्तर प्रदेश का आखिरी और बिहार से सटा कुशीनगर जनपद भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वान स्थली के नाम से जाना जाता है. भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वान स्थली होने के चलते यह बौद्ध धर्म के अनुयाइयों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का केंद्र भी है. कुशीनगर जनपद सन 1994 में देवरिया जनपद से अलग होकर बना था. कुशीनगर जनपद में कुल सात विधानसभा की सीटें हैं. कुशीनगर लोकसभा शीट पांच विधानसभा सीट (खड्डा, पडरौना, कुशीनगर, हाटा और रामकोला) से मिलकर बना है. जिसमें से दो विधानसभा तमकुहीराज और फाजिलनगर देवरिया लोकसभा में पड़ता है. 


कितने हैं सैथवार वोट
कुशीनगर जनपद की सातों विधानसभा क्षेत्र में सैथवार जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. खड्डा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 हजार सैथवार जाति के मतदाता हैं. पडरौना विधानसभा जहां आरपीएन सिंह का दरबार है. वहां लगभग 25 हजार सैथवार जाति के लोग निवास करते हैं. तमकुहीराज जहां से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू विधायक हैं. वहां भी सैथवार जाति के लगभग 18 हजार वोटर हैं. फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 15 हजार सैथवार बिरादरी के लोग रहते हैं. उसी तरह कुशीनगर में 15 हजार, हाटा में लगभग 30 हजार और रामकोला विधानसभा में 18 हजार मतदाता सैथवार जाती के हैं. आरपीएन सिंह का अपनी सैथवार विरादरी में अच्छी पकड़ है और इस जाति के लोग इनको अपना नेता भी मानते हैं. 


जाति में पकड़
स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने के बाद पिछड़ी जाति का बड़ा चेहरा आरपीएन सिंह बीजेपी में सम्मिलित हुए हैं. कहीं ना कहीं बीजेपी में स्वामी की कमी पूरी करने के लिए आरपीएन को ज्वाइन कराया गया है. सैथवार विरादरी वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया सहित पूरे पूर्वांचल में रहती है. लगभग 10 से 20 हजार सैथवार जाति के वोटर पूर्वांचल के सभी विधानसभा क्षेत्रों में रहते हैं. बीजेपी आरपीएन सिंह को इन्हीं वोटरों को साधने के लिए आरपीएन सिंह को पार्टी ज्वाइन कराई है. आरपीएन सिंह ने इसका जिक्र खुद किया है कि सैथवार जाति का कोई चेहरा ऐसा नहीं था, जो इनकी राजनीति कर सके. कहीं न कहीं आरपीएन इसी जाति के वोटरों को भुना कर सत्ता की मलाई खाने के लिए बीजेपी में आए हैं. 


किससे हारे हैं लोकसभा चुनाव
आपको बता दें कि 2019 में आरपीएन सिंह बीजेपी प्रत्याशी विजय दूबे से, तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी राजेश पाण्डेय से चुनाव हार चुके हैं. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पडरौना संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र कर दिया गया. कुशीनगर लोकसभा भारत सरकार के पूर्व गृह राज्य मंत्री रहे आरपीएन सिंह की जन्मभूमि और कर्म भूमि दोनों है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायन सिंह (आर.पी.एन. सिंह) 2,23,954 मत पाकर चुनाव जीते. यूपीए-2 की सरकार में भूतल परिवहन व सड़क राज्यमार्ग राज्यमंत्री, पेट्रोलियम राज्य मंत्री व गृह राज्य मंत्री रहे. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पडरौना से कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह निर्दल प्रत्याशी बालेश्वर यादव से चुनाव हार चुके हैं. वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में भी पडरौना लोकसभा क्षेत्र से आरपीएन सिंह को बीजेपी प्रत्याशी रामनगीना मिश्रा ने हराया था.


परिवार की राजनीति
2009 में सांसद चुने जीतने के पहले आरपीएन सिंह कुशीनगर जनपद की पडरौना विधानसभा सीट से 1996, 2002 तथा 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए भी रह चुके हैं. आरपीएन सिंह पांच बार लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं लेकिन सफलता सिर्फ एक बार मिली है. आरपीएन सिंह का परिवार भी राजनीतिक रहा है. इनके पिता सीपीएन सिंह भी वर्ष 1980 और वर्ष 1984 में पडरौना शीट से सांसद चुने गए. 1980 से 1984 तक के कार्यकाल में भारत सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी रहे. सन 1991 में आरपीएन सिंह की माता मोहिनी देवी भी पडरौना लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार रह चुकी हैं. आरपीएन सिंह सांसद चुने जाने के बाद पडरौना विधानसभा सीट के उपचुनाव में भी मोहिनी देवी कांग्रेस की उम्मीदवार रह चुकी हैं. हालांकि कि वे चुनाव हार गई थीं.


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