UP Assembly Election 2022: RPN सिंह के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस में भूचाल आ गया है. पडरौना सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष जायसवाल और पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. आरपीएन सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता थे और झारखंड कांग्रेस के प्रभारी भी थे.


राजनीतिक विरासत
कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (RPN Singh) OBC जाति से आते हैं. मूलतः यह कुर्मी जाति के हैं. यूपी की राजीनीति में इनकी जाति का एक बड़ा तबका निवास करता है. कल आरपीएन सिंह ने खुद यह बात बताई थी कि पूर्वांचल के सभी विधानसभा क्षेत्र में इस बिरादरी के 10 से 15 हजार वोट हैं. इतने वोट होने के बाद इस जाति का कोई नेता इस पूर्वांचल से नहीं है. कहीं न कहीं आज जब आरपीएन बीजेपी से जुड़े हैं तो वह इसी वोट के सहारे अपनी राजनीतिक नैया पार करने के जुगत में हैं. पिता सीपीएन सिंह की हत्या के बाद आरपीएन सिंह राजनीति में आए थे. उसके बाद वह 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन बार पडरौना विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे हैं.


आरपीएन सिंह का राजनीतिक कैरियर
आरपीएन सिंह  2009 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लडे और तत्कालीन बीएसपी सरकार के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को हराकर सांसद बने. 2011 की कांग्रेस सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रहे. 2012 में केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग और कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री रहे हैं. वे 2013 से 2014 तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे. उसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी के कैंडिडेट से हार गए थे. RPN कांग्रेस संगठन में भी बड़े पदों पर रहे हैं.


कौन हैं आरपीएन सिंह
आपको बता दें कि इनका जन्म  25 अप्रैल 1964 को हुआ था. आरपीएन सिंह पडरौना के राजदरबार परिवार से आते हैं और इन्हें राजा साहब भी कहा जाता है. इनके पिता सीपीएन सिंह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री रहे हैं. 2009 लोकसभा चुनाव में आरपीएन सिंह के सांसद चुने जाने के बाद इनकी माता मोहिनी देवी 2010 के उपचुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़ चुकी हैं. लेकिन वह चुनाव हार गई थीं. इनकी पत्नी सोनिया सिंह मशहूर टीवी पत्रकार हैं. RPN सिंह की तीन बेटियां हैं. RPN सिंह 1997 से 1999 तक उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. 2003 से 2006 तक AICC के सचिव रहे हैं. आरपीएन सिंह को झारखंड राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी बनाया था. जिनकी अगुवाई में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा और वहां गठबंधन की सरकार बनी.


क्या कहते हैं दो अन्य नेता
कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष जायसवाल ने कहा कि हमारे नेता आरपीएन सिंह हैं. जब वह कांग्रेस में नहीं रहेंगें तो हम उनके सम्मान में कांग्रेस पार्टी छोड़ रहे हैं. कांग्रेस उम्मीदवार बनने के बाद इस्तीफा देने के सवाल पर कहा कि नेता के सम्मान में यह किया हूं. बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि यह शीर्ष नेतृत्व तय करेगा कि चुनाव कौन लड़ेगा. पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा कि जहा हमारे नेता आरपीएन सिंह का सम्मान नहीं हुआ तो वहां हम कैसे रह सकते हैं. जबसे अजय लल्लू प्रदेश अध्यक्ष बने हैं कुशीनगर पार्टी कार्यालय पर आए तक नहीं हैं. आपको बता दें कि मनीष जायसवाल पडरौना और राजकुमार सिंह खड्डा विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदार हो सकते हैं.


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