UP Assembly Election 2022: सहारनपुर का देवबंद विधानसभा चुनाव से पहले ही चर्चाओं में है. इससे पहले देवबंद दारुल उलूम के फतवों को लेकर चर्चाओं में रहता था. लेकिन इस बार नामांकन से पहले ही समाजवादी पार्टी द्वारा बार-बार प्रत्याशी के टिकट बदलने से यह विधानसभा सीट चर्चाओं में आ गई है. इस सीट पर सपा की ओर से तीन दावेदार मैदान में थे. जिनमें से एक माविया अली, दूसरे कार्तिकेय राणा और तीसरे लोकदल के मनोज चौधरी. 


किसको मिला पहले टिकट
नामांकन के आखिरी दिन तक तीनों दावेदार लखनऊ में सपा मुखिया की चौखट पर टिकट के लिए गुहार लगाते रहे. सबसे पहले पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र राणा के पुत्र का टिकट फाइनल हो गया था. लेकिन उसके बाद भी समाजवादी के माविया अली हिम्मत न हारते हुए लखनऊ डटे रहे. वे सपा मुखिया अखिलेश यादव को मनाने में कामयाब हो गए और टिकट ले लिया. जैसे ही इसकी खबर कार्तिकेय राणा को लगी जो कि नामांकन करा चुके थे तुरंत लखनऊ रवाना हो गए. टिकट बचाने के जुगत में लग गए.


माविया ने किया नामांकन
दोनों की लड़ाई में बीजेपी छोड़कर लोकदल में गये मनोज चौधरी की आस जाग उठी. कयास लगाए जाने लगे कि सपा की लड़ाई को देखते हुए यह टिकट लोकदल के मनोज चौधरी को मिल सकता है. लेकिन नामांकन के आखिरी दिन माविया अली प्रदेश उपाध्यक्ष जगपाल दास के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और नामांकन सपा के प्रत्याशी के तौर पर करा लिया. माविया अली ने कहा की पूर्व में कार्तिकेय को दिया गया सिंबल रद्द कर दिया गया है. अब वह सपा के प्रत्याशी हैं.


सपा मुखीया ने किया स्पष्ट
अभी माविया अली कुछ देर ही खुशी मना पाए थे कि कार्तिकेय राणा इमरान मसूद के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे. सपा के नए अधिकार पत्र के साथ दोबारा नामांकन करा दिया. अब यह तय कर पाना मुश्किल था कि कौन सपा का वास्तविक उम्मीदवार है. इस सस्पेंस को भी सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में थोड़ी देर बाद ही खत्म कर दिया. सपा प्रमुख ने कहा कि कार्तिकेय राणा ही यहां से सपा के प्रत्याशी रहेंगे.


कौन हैं माविया 
यह तो बात रही देवबंद से प्रत्याशी की घोषणा की. लेकिन यहां माविया अली कौन हैं, यह जानना भी जरूरी है. उनका देवबंद की सीट पर क्या प्रभाव है. आपको बता दें कि माविया अली ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1993 में की. लगातार तीन बार वह देवबंद नगर पालिका में सभासद रहे हैं. शुरुआत से ही वह सपा के साथ जुड़े रहे हैं. तीन बार सभासद रहने के बाद वह नगर पालिका देवबंद के चेयरमैन बने. उनके चेयरमैन बनने के बाद देवबंद के सपा विधायक व मंत्री राजेंद्र राणा से अनबन के कारण वह कांग्रेस में चले गए.


उपचुनाव में मिला तीसरा स्थान
2015 में राजेंद्र राणा के देहांत के बाद देवबंद में 2016 में उपचुनाव हुए. वह सपा से राजेंद्र राणा की पत्नी मीना सिंह को हराकर कांग्रेस से प्रत्याशी चुने गए. 2017 के चुनाव में माविया अली सपा के उम्मीदवार बने और चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे. इस बीच माविया अली अपने इस बयान को लेकर भी काफी चर्चित रहे. जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं पहले मुसलमान हूं, बाद में भारतीय. इस बार भी माविया अली ने टिकट की दावेदारी प्रस्तुत की थी. लेकिन बहुत प्रयास के बाद टिकट मिलने के बावजूद उनके हाथ से निकल गया. अब देखना यह है कि इस चुनाव में वह सपा उम्मीदवार का कितना साथ देते हैं.


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