UP Assembly Election 2022: पहले चरण (First Phase) में चुनाव के लिए हुए प्रचार में दोनों ओर से खूब गर्मा-गर्मी दिखी. शामली (Shamli) में शिमला (Shimla) का जिक्र हुआ और मई-जून में सर्दी लाने की चेतावनी दी गई. गर्मी का जवाब चर्बी से दिया गया. ये सब क्यों हुआ क्योंकि मुकाबले में आमने-सामने खड़े दोनों ही खेमों के लिए इन 11 जिलों की 58 सीटों की बड़ी अहमियत है. यह सभी 11 जिले पश्चिमी यूपी (West UP) में है. वहीं पश्चिमी यूपी जिसने 2017 में बीजेपी (BJP) को झोली भरकर वोट दिए थे. 136 सीटों में अकेले बीजेपी 100 से ज्यादा सीटों पर विजयी रही थी. जिन 58 सीटों पर आज चुनाव हैं, उसमें 53 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. 


बीजेपी के लिए चुनौती
इस बार भी बीजेपी को दोबारा सत्ता पाने के लिए पश्चिमी यूपी की बड़ी अहमियत है. तो बीजेपी को रोकने के लिए पश्चिमी यूपी में अखिलेश (Akhilesh Yadav) के लिए भी अपना परफॉर्मेंस सुधारने की चुनौती है. इसी वजह से पहले चरण वाली सीटों पर प्रचार के दौरान दोनों खेमों में तगड़ा वार-पलटवार भी दिखा.


बीजेपी का विरोध 
2017 से 2022 तक पश्चिमी यूपी में राजनीतिक समीकरण में खूब बदलाव हुए हैं. सबसे बड़ी वजह बीजेपी से किसानों की नाराजगी है और किसानों की अगुवाई का दावा करने वाले चौधरी परिवार का इस बार अखिलेश के साथ होना. चुनाव की शुरुआत से पहले भी कल किसान नेता नरेश टिकैत (Naresh Tikait) ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी और बीजेपी के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया. दो दिन पहले राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भी बयान दे चुके हैं कि वोटर चाहे जिसे भी वोट करें लेकिन बीजेपी को वोट ना दें. इन सारी अपील का वोटरों पर कितना असर हुआ, आज उसके निर्णय का वक्त भी है. 


क्या है बीजेपी लिए समस्या
पहले चरण के दौरान यूपी के गन्ना बेल्ट में मतदान हो रहा है. यहां जाट और मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटिंग हो रही है. इस बार जाट वोट बीजेपी के खिलाफ सपा में जा सकता है. वहीं किसान आंदोलन का प्रभाव भी इन इलाकों में बीजेपी के प्रदर्शन पर असर डाल सकता है. वहीं अखिलेश यादव के साथ जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) के आने से इन इलाकों में बीजेपी को काफी मुश्किल आने वाली है. 


जाटलैंड में कड़ा मुकाबला
जाटलैंड में चुनाव की बड़ी अहमियत इसलिए है क्योंकि इसका असर पूरे यूपी के चुनाव नतीजे पर पड़ सकता है. यूपी में जीत-हार का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी दिख सकता है. लेकिन पहले चरण के चुनाव की अहमियत सिर्फ बीजेपी के लिहाज से नहीं है. परीक्षा अखिलेश-जयंत की जोड़ी के लिए भी है. क्योंकि इस बार अखिलेश पूरी तरह अपने चेहरे पर चुनावी कैंपेन कर रहे हैं. प्रचार में हर जगह अखिलेश का ही चेहरा है. तो जयंत भी पिता अजीत चौधरी (Ajit Chaudhary) के निधन के बाद पहली बार चुनावी चक्रव्यूह का इम्तिहान दे रहे हैं.


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