अयोध्या:  उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या की गोसाइगंज सीट से बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की  विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. इसकी जानकारी गुरुवार को विधासभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर दी. बता दें कि खब्बू तिवारी फर्जी मार्कशीट केस में दोषी पाए गए थे और 18 अक्टूबर 2021 को एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा उन्हें 5 साल की सजा भी सुनाई गई थी.  


गौरतलब है कि कुलदीप सिंह सेंगर और अशोक चंदेल (दोनों भाजपा से)  और अब्दुल्ला आजम के बाद खब्बू चौथे विधायक हैं जो राज्य विधानसभा से अपनी सदस्यता खो चुके हैं. यूपी विधानसभा सचिवालय ने 7 दिसंबर को उनकी बर्खास्तगी की अधिसूचना जारी कर दी थी.


फर्जी मार्कशीट के मामले में खब्बू तिवारी थे दोषी
बता दें कि मामला 1992 का है जब साकेत कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने तिवारी समेत तीन लोगों के खिलाफ फर्जी मार्कशीट के आधार पर दाखिला लेने का मामला दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि तिवारी 1990 में बीएससी सेकेंड ईयर में फेल होने के बावजूद बीएससी थर्ड ईयर में एडमिशन लेने में सफल रहे.


तीनों के खिलाफ थाना रामजन्मभूमि में आईपीसी की धारा 420 467 468 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में, खब्बू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, सपा के अभय सिंह को लगभग 12,000 मतों के अंतर से हराया था.


तिवारी की सदस्यता रद्द होने के बाद यूपी विधासभा में आठ सीटें हुईं खाली
वहीं तिवारी की सदस्यता रद्द होने के साथ, यूपी विधानसभा में आठ सीटें खाली हो गई हैं. गोसाईगंज के अलावा, अन्य सात सीटों में स्वार, औरैया, लखनऊ (पश्चिम), नवाबगंज, सलोन, चरथवल और दीदारगंज शामिल हैं. स्वार सीट दिसंबर 2019 से खाली हो गए थी, जब सपा विधायक अब्दुल्ला आजम, जो सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे भी हैं, को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.


दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनका चुनाव यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि वह 2017 के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं थे. जब उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था तब वह 25 वर्ष से कम उम्र के थे. वहीं अन्य छह सीटें विधायकों के निधन के बाद खाली हुई थीं.


अशोक चंदेल और कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता भी हुई रद्द
बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक चंदेल को अप्रैल 2019 में यूपी विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1998 के एक हत्या मामले में उनकी सजा को बरकरार रखा था, जिसमें चार भाई मारे गए थे. उसके बाद 2020 में, बांगरमऊ (उन्नाव) से निष्कासित भाजपा विधायक, कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. हमीरपुर से युवराज सिंह जीते जबकि बांगरमऊ सीट से श्रीकांत कटियार जीते थे.


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