Azam Khan Case: दो बर्थ सर्टिफिकेट केस में आजम खान, पत्नी और बेटे को सजा, कैसे लड़ी गई ये कानूनी लड़ाई?
UP News: दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सपा नेता आजम खान और उनक पत्नी व बेटे को सात-सात की सजा पर जेल भेज दिया गया. शासकीय अधिवक्ताओं ने बताया कि कैसे ये कानूनी लड़ाई लड़ी और सजा दिलवाई.
Double Birth Certificate Case: दो जन्म प्रमाण पत्र (Double Birth Certificate Case) मामले में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता आजम खान (Azam Khan) और उनके बेटे व पत्नी को सात-सात की सजा सुना दी गई है. आजम खान उनकी तंजीन फातिमा, बेटे अब्दुल्ला आजम को जेल भेज दिया गया है. अब तीनों जेल में सजा काट रहे हैं. शासकीय अभियोजन अधिकारियों ने बताया कि दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी है. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने तीनों को जेल भिजवाने के लिए रणनीति बनाई और कोर्ट के सामने दोषी साबित किया.
अधिकारियों ने बताया लंबी चली कानूनी लड़ाई
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान और उनके परिवार को जेल भिजवाने वाले दो शासकीय अभियोजन अधिकारियों शिव प्रकाश पांडेय और अमर नाथ तिवारी ने बताया कि अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए गए और दोनों जन्म प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल उन्होंने अलग-अलग कार्यों के लिए किया. जो कि अपराध की श्रेणी में आता है.
उन्होंने बताया कि 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अब्दुल्ला आजम की उम्र 1993 वाले जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार 25 वर्ष से कम थी इसलिए अब्दुल्ला आजम का एक जन्म प्रमाण पत्र लखनऊ से उनकी मां और पिता ने 1990 की जन्म तिथि बताते हुए बनवाया और उसका इस्तेमाल किया. 1990 वाले जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल उन्होंने स्कूल में अब्दुल्ला आजम के दाखिले के समय किया था.
आजम खान के परिवार को 7-7 साल की सजा
उन्होंने बताया कि दोनों जन्म प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल अलग-अलग कार्यों के लिए किया गया. दस्तावेज साक्ष्य और गवाहों की गवाही से अदालत के सामने हमने यह साबित करने में कामयाबी हासिल की कि आजम खान, उनकी पत्नी डॉ तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने अपराध किया है और वह साबित हो गया. जिसके बाद अदालत ने उन्हें 7-7 साल की सजा सुनाई है.
दोनों अभियोजन अधिकारियों ने बताया कि मुकदमे की पैरोकारी के दौरान कई तरह की समस्याएं सामने आई क्योंकि आजम खान बड़े राजनीतिक व्यक्ति हैं इसलिए एक तरह का दबाव भी था, लेकिन उन्होंने बिना किसी प्रेशर में आए बिना मुकदमे की पैरोकारी पूरी कुशलता के साथ की और सजा दिलाने में कामयाब रहे.
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