UP Election 2022: यूपी में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे है. वैसे-वैसे प्रदेश में सियासत गरमाती जा रही है. सभी सियासी दल 2022 के चुनावों को जीतने के लिए जी-जान से मेहनत कर रहे हैं. वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी लगातार पार्टी के लोगों के साथ बैठक कर रही हैं. आज मायावती ने पार्टी कार्यालय पर प्रदेश की 86 सुरक्षित सीटों के विधानसभा अध्यक्षों की एक बैठक बुलाई और जीत की रणनीति पर चर्चा की. ये 86 सुरक्षित सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो इन सीटों पर जीत हासिल करता है. वो प्रदेश में सत्ता का सिकंदर बनता है.


मायावती ने की अध्यक्षों के साथ बैठक


2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सभी सियासी दलों ने अपनी कमर कस ली है. हर पार्टी लगातार अपने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही है. जिसमें चुनाव में उनकी क्या रणनीति रहेगी इस पर चर्चा हो रही है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी लगातार चुनावी रणनीति तैयार कर रही हैं. 9 अक्टूबर को लखनऊ में कांशीराम की पुण्यतिथि पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों से भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का एहसास कराया था. उसके बाद से लगातार वो पार्टी के लोगों को दिए हुए कामों का रिव्यू कर रही हैं. हाल ही में उन्होंने पार्टी कार्यालय पर प्रदेश की सुरक्षित सीटों के सभी विधानसभा अध्यक्षों को बैठक के लिए बुलाया था. और बैठक में मायावती ने इन विधानसभा अध्यक्षों को जीत का मंत्र दिया था.


यूपी में 86 सीटें है रिजर्व


दरअसल यूपी में कुल 86 सीटें रिजर्व हैं, इनमें 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए तो वही 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. ये सीटें हैं सोनभद्र की दुद्धि और ओबरा जो शेड्यूल ट्राइब्स के लिए आरक्षित की गई है. लेकिन इन 86 सीटों का गणित यूपी में हमेशा से काफी महत्वपूर्ण रहा है. क्योंकि जो पार्टी इन सुरक्षित सीटों में से सबसे ज्यादा सीट जीतती है सत्ता पर वहीं काबिज होती है. बता दें कि इन सभी सीटों पर एससी और एसटी बिरादरी का सबसे ज्यादा वोटबैंक है. इसीलिए माना जाता है कि इन सीटों पर बसपा का अच्छा होल्ड है.


आरक्षित सीटों का रहा बड़ा योगदान


साल 2007 में जब बसपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई तब उसकी जीत में इन आरक्षित सीटों का बड़ा योगदान रहा था. क्योंकि तब बसपा ने 84 सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं अगर बात करें साल 2012 की जब समाजवादी पार्टी सत्ता में आई तो इन सुरक्षित सीटों में से 55 से ज्यादा सीटें जीतकर उन्होंने सरकार बनाई थी. वहीं साल 2017 में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत में इन रिज़र्व सीट की महत्वपूर्ण भूमिका रही क्योंकि 86 सीटों में से बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 65 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. और तब बसपा को मात्र 2 सीटों मिली थी. और बाकी बची सीटों पर समाजवादी पार्टी जीती थी.


रणनीति तैयार करने में जुटी मायावती


यही वजह है कि एक बार फिर मायावती अपने इस स्ट्रांग होल्ड को 2022 के लिए और पुख्ता करने में जुटी हैं, उन्हें इस बात का अंदाजा है कि अगर इन रिजर्व सीटों पर उन्हें जीत मिलती है तो इस बार हाथी सत्ता की राह पकड़ पाएगा. हालांकि चाहे 2017 के विधानसभा चुनाव रहे हो या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव रहे हों, इन सुरक्षित सीटों में बीएसपी की पकड़ कमजोर होती गई और बीजेपी अपनी पकड़ को मजबूत करती चली गई. यही वजह है कि अब खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इन सुरक्षित सीटों पर ज्यादा फोकस कर दिया ह. और जीत की रणनीति तैयार करने में जुटी हैं.


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