उत्तर प्रदेश उप चुनाव: सभी दलों ने दिया दागियों को टिकट
हर पार्टी की कोशिश है कि उपचुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर 2022 के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की जा सके.
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उत्तर प्रदेश में 3 नवंबर को 7 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने है. कल उपचुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन है. सभी पार्टियों ने 2022 के चुनाव से पहले सत्ता के सेमीफाइनल में जीत के लिए अपना पूरा दमखम झोंक दिया है . हर पार्टी की कोशिश है कि उपचुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर 2022 के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की जा सके. हालांकि दूसरे को लेकर सियासी दल भले ही आरोप लगाते हो लेकिन जब खुद की बारी आती है तो चुनाव में शायद केवल जीत मायने रखती है और यही वजह है कि उम्मीदवार चाहे दागी हो उसे टिकट देने में परहेज नहीं करते और इससे कोई भी पार्टी अछूती नहीं है. फिर चाहे वह सत्ताधारी बीजेपी ही क्यों ना हो.
इन उपचुनाव में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बीजेपी सभी ने कुछ सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को अपना दावेदार बनाया है जिनका दागदार इतिहास रहा है. किसी पर पार्टी के नेता ही रेपिस्ट होने का आरोप लगा रहे हैं, तो किसी का बेटा 7 महीने से गैंगरेप के आरोप में जेल में बंद है. तो वहीं कोई उम्मीदवार हत्या के मामले में कई वर्षों तक जेल की हवा खा चुका है.
सबसे पहले बात करते हैं समाजवादी पार्टी की, जिसके दो उम्मीदवारों को लेकर काफी विवाद है. पहला टूंडला सीट पर सपा ने जिसे अपना उम्मीदवार बनाया है वह है महाराज सिंह धनगर, महाराज सिंह धनगर का बेटा दीपक धनगर पिछले 7 महीने से आगरा में जेल में बंद है. दीपक पर आरोप है कि उसने अपने चार साथियों के साथ मिलकर एक छात्रा का गैंगरेप किया था. हाथरस की घटना के बाद समाजवादी पार्टी के लोगों ने सरकार के खिलाफ महिला अस्मिता और सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन तो खूब किया लेकिन जब टिकट देने की बारी आई गैंग रेप के आरोपी के पिता को ही टिकट थमा दिया.
वहीं उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर सुरेश पाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वो कानपुर की चकेरी थाने का हिस्ट्रीशीटर है. चकेरी थाने में सुनील पाल पर कई मुकदमे दर्ज हैं. उस थाने में सपा प्रत्याशी भू माफिया के तौर पर दर्ज है. ऐसा नहीं है कि केवल समाजवादी पार्टी ने चुनाव में दागियों को टिकट दिया है बल्कि सत्ताधारी बीजेपी भी अपने टिकट वितरण को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं.
बीजेपी ने जौनपुर की सीट पर मनोज सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है, वह 2005 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता कमलेश यादव की हत्या का मुख्य आरोपी रहा है और 4 साल जेल में भी बंद रहा है. जबकि कांग्रेस ने देवरिया में जिस मुकुंद मणि त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है उस पर पार्टी की महिला नेता तारा यादव ने ही रेप का आरोपी होने का आरोप लगाया था. और जब पार्टी की बैठक देवरिया जिले में हो रही थी तब कांग्रेस के नेताओं ने तारा यादव की पार्टी दफ्तर में ही पिटाई कर दी थी. दरअसल सियासी दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो खूब करते हैं लेकिन जब बारी खुद की आती है तो शायद उन्हें दाग अच्छे लगते हैं.
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