UP News: उत्तर प्रदेश में अब तीन सीटों मैनपुरी (Mainpuri), रामपुर (Rampur) और खतौली (Khatauli) में उपचुनाव होने वाले हैं. इन सभी सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. अब जल्दी ही बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक होगी जिसमें तीनों उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का सुझाव केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा. केंद्रीय नेतृत्व ही उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मुहर लगाएगी.


इस तरह होगा उम्मीदवारों का चयन


9 नवंबर को बीजेपी कोर कमेटी की बैठक मुख्यमंत्री आवास पर हो सकती है. जिसमें प्रदेश अध्यक्ष महामंत्री संगठन दोनों उपमुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे. दरअसल बीजेपी में उम्मीदवार तय करने की एक प्रक्रिया है इसमें जिले से तीन नामों का एक पैनल क्षेत्र को भेजा जाता है. क्षेत्र से वह नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाता है फिर बीजेपी की जो कोर कमेटी है. उसमें इन नामों के पैनल पर चर्चा होती है और फिर उस पैनल में से कुछ नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजे जाते हैं और फिर केंद्रीय नेतृत्व ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा करता है. 


मैनपुरी में रघुराज सिंह शाक्य के नाम पर चर्चा


इन तीन सीटों में से दो सीटों पर तो बीजेपी के विधायक और सांसद नहीं जीते थे लेकिन खतौली सीट पर बीजेपी ने ही 2022 में जीत हासिल की थी और उसके विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में मिली सजा से चली गई. अब मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में माना जा रहा है कि बीजेपी पिछड़ी बिरादरी से आने वाले को उम्मीदवार बना सकती है. सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व सांसद और शिवपाल यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले रघुराज सिंह शाक्य के नाम को लेकर है क्योंकि मैनपुरी में यादव वोट बैंक के बाद सबसे ज्यादा वोट बैंक शाक्य सैनी कुशवाहा बिरादरी का है और ऐसे में बीजेपी रघुराज सिंह शाक्य के नाम पर विचार कर सकती है.


खतौली में विक्रम सैनी के रिश्तेदार को मिल सकता है टिकट


रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाने से कहीं ना कहीं शिवपाल यादव भी इस पर न्यूट्रल रह सकते हैं. वहीं आजम खान की खाली हुई सीट पर बीजेपी आकाश सक्सेना को मौका दे सकती है क्योंकि आकाश सक्सेना ने जिस तरह से मुकदमों की पैरवी की उसके चलते ही आजम खान सदस्यता रद्द हुई. जबकि खतौली सीट पर बीजेपी विक्रम सैनी के परिवार के किसी सदस्य को अपना उम्मीदवार बना सकती है क्योंकि इसके पीछे बीजेपी यह तर्क दे सकती है कि मुजफ्फरनगर कांड में विक्रम सैनी ने ही समाज की लड़ाई लड़ी थी और ऐसे में अब उनकी सदस्यता जाने के बाद उनके परिवार को ही मौका पार्टी दे रही है. 


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