लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्रदूषण फैलाने वाली प्रमुख गतिविधियों में शामिल कृषि अवशेष यानी पराली जलाये जाने पर अब ग्राम प्रधान की भी जवाबदेही तय करके कार्रवाई की जाएगी. प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने सोमवार को राज्य के सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये दिये गये निर्देश में कहा कि प्रदेश में जहां पर भी पराली जलाने से सम्बन्धित घटना संज्ञान में आती है, तत्काल सम्बन्धित व्यक्ति के साथ-साथ गांव के स्तर पर ग्राम प्रधान की भी जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी भी स्थान पर पराली जलाने से सम्बन्धित घटना कतई न होने दी जाए. खेतों में फसल कटने के बाद पराली को मौके पर ही अपघटित कराने की व्यस्थाएं सुनिश्चित कराई जाएं. पराली को गोवंश संरक्षण केन्द्रों पर तुरंत पहुंचाया जाए और लापरवाही करने वाले सम्बन्धित व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाए.
पराली जलाने के बुरे प्रभावों के बारे में भी बताया जाए- मुख्य सचिव
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में विशेष रूप से ग्राम स्तर पर पोस्टर, बैनर और लाउडस्पीकर के माध्यम से पराली न जलाये जाने की जानकारी दी जाए. साथ ही किसानों को पराली जलाने से होने वाले बुरे प्रभावों के बारे में भी बताया जाए. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पराली के निस्तारण के लिये हर जिले में उपयुक्त कृषि यंत्र की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए.
तिवारी ने कहा कि वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिये कूड़ा, पालीथीन, पराली इत्यादि के जलाने पर पूरी तरह रोक लगायी जाए.
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