UP: यूपी में नए मदरसों के अनुदान पर रोक को लेकर क्या बाले दारुल उलूम के प्रवक्ता? जानें
दारुल उलूम के प्रवक्ता ने कहा, आगे से मदरसों को अनुदान नहीं देने का फैसला सही नहीं है और इस पर गौर करने की जरूरत है. मेरी गुजारिश है कि हुकूमत एकबार इसपर गौर करे.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सीएम योगी आदित्यनाथ कैबिनेट (CM Yogi Adityanath cabinet) के प्रदेश सरकार द्वारा अब किसी भी नए मदरसे को अनुदान नहीं देने के फैसले पर दारुल उलूम के प्रवक्ता (Darul Uloom spokesperson) सुफियान निजामी ने बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि, मदरसों की तरक्की के लिए जो भी काम हैं और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को जो सहूलियत मिलने वाली हो उस पर किसी को एतराज नहीं है. जो मदरसे फर्जी हैं उनको बंद करना चाहिए और जो मदरसे फर्जी तरीके से अनुदान ले रहे हैं उन पर भी ताला लगाया जाए.
फैसला सही नहीं-दारुल उलूम प्रवक्ता
दारुल उलूम के प्रवक्ता ने आगे कहा कि, लेकिन जो ये फैसला किया गया है कि आगे से मदरसों को अनुदान नहीं दिया जाएगा इसपर सरकार को चाहिए कि एक बार गौर करे. हमारे मुख्यमंत्री ने यह खुद कहा है कि मदरसों का आधुनिकीकरण किया जाएगा. आगे से मदरसों को अनुदान नहीं देने का फैसला सही नहीं है और इसपर गौर करने की जरूरत है. मेरी गुजारिश है कि हुकूमत एक बार इसपर गौर करे और जो फर्जी मदरसे चल रहे हैं उनपर कार्रवाई की जाए, उन्हें बंद किया जाए लेकिन यह कह देना कि आगे किसी भी मदरसों को लाभ या अनुदान नहीं मिलेगा पर गौर करने की जरूरत है.
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ज्ञानवापी मामले पर क्या कहा
दारुल उलूम के प्रवक्ता ने आगे कहा कि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का फैसला ज्ञानवापी मस्जिद मामला लीगल कमेटी देखेगी. कानूनी तौर पर इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड टेक ओवर करेगा. उन्होंने कहा कि, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों का एक प्लेटफॉर्म है. ज्ञानवापी मस्जिद के मामले पर जिस तरह का मामला सामने आया है मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा है कि वह अपनी कमेटी लगाएगा, जो भी कानूनी कार्रवाई होगी वह संविधान के तहत लड़ेगा.
पर्सनल ला बोर्ड पैरवी करे-प्रवक्ता
दारुल उलूम के प्रवक्ता ने आगे कहा, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आगे आए और इस तरीके का जो राष्ट्रीय मुद्दा बनाने कोशिश की जा रही है उसकी पैरवी करे. ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में जो संविधान की नजर में हो सके ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को करना चाहिए और कानूनी तौर पर अदालतों में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को मुसलमानों की पैरवी करने की जरूरत है.
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