मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महिलाओं के लिए द्रौपदी मंदिर वह जगह है जहां हर मुराद पूरी होती है. यही वजह है कि यहां महिलाएं आती हैं. यहां लोग बिना पुजारी के आस्था की डुबकी लगाते हैं क्योंकि इस मंदिर में कृष्ण मुरारी स्थापित हैं.
द्रौपदी घाट मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां माता द्रौपदी स्नान करने आया करती थी लेकिन आज ये जगह महिलाओं के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. कहा जाता है कि जो भी महिला यहां सच्चे मन से कुछ भी मांगती है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वे यहां मां द्रौपदी की पूजा करने जरूर आती है.
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी और उसी प्रसंग को दर्शाते हुए मंदिर में द्रौपदी की लाज बचाते हुए कृष्ण की मूर्ति लगी है. साथ ही कृष्ण की एक अलग से मूर्ति रखी गई है. ऐसा कहा जाता द्रौपदी की पूजा के बाद कृष्ण की पूजा करना अनिवार्य है नहीं तो आपको उनकी पूजा का उचित फल नहीं मिलेगा.
यही वजह है कि महिलाएं पहले द्रौपदी तालाब में स्नान कर प्राचीन पीपल के नीचे बैठ कर मां द्रौपदी की पूजा करती हैं और उसके बाद मंदिर में विराजमान कृष्ण की पूजा करती हैं ताकि उनकी पूजा सार्थक हो और उन्हें उनकी पूजा का पूरा लाभ मिल सके. इस मंदिर में आस-पास के जिले से ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से महिलाएं और श्रद्धालु झोली फैलाकर आते हैं और झोलियां भर कर जाते हैं.
यही वजह है कि आज इस मंदिर की प्रसिद्धि देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में है और मां द्रौपदी की कृपा ऐसी है कि बिना पुजारी के मंदिर चल रहा है लेकिन आज ये मंदिर सरकारी उपेक्षाओं से ग्रसित है जबकि यह मां द्रौपदी का दुनिया मे इकलौता मंदिर है लेकिन आज ये मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.
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