UP Election 2022 : बीजेपी में पिछले पांच सालों में अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों की सक्रियता कितनी रही और पार्टी में कार्यकर्ताओं व समर्थकों की स्थिति कैसी रही है, इसे लेकर पार्टी की केंद्रीय इकाई की तरफ से इसका आकलन करवाया जा रहा है. इसके लिए पार्टी खुफिया तरीके से एक रिपोर्ट भी तैयार करवा रही है. जिसपर कोई भी बीजेपी नेता फिलहाल बोलने को तैयार नहीं. लेकिन जानकारों की मानें तो इस रिपोर्ट के पीछे की तमाम वजहें है.

सपा की रैलियों में उमड़ रही भीड़ 
बीजेपी द्वारा तैयार हो रही इस रिपोर्ट के पीछे सबसे पहली वजह जो निकल कर सामने आ रही है वह है कि पिछले करीब 1 महीने से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैलियों में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है. जबरदस्त मिल रहे जनसमर्थन के बीच भारतीय जनता पार्टी के लिए यह जानना बेहद जरुरी हो जाता है कि पिछड़ों और दलितों की सक्रियता का आज हिसाब किताब क्या है. अगर दूसरी बड़ी वजह पर नजर डाली जाए तो बीते स्थानीय निकायों के चुनाव में जिला पंचायत और ब्लॉक के सदस्यों की संख्या में समाजवादी पार्टी की तरफ से बनाई गई बढ़त भी एक बड़ी चिंता का विषय है. इसके अलावा तीसरी वजह है कि पिछले 5 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अनुसूचित और पिछड़ी जातियों के लोगों को संगठन के साथ पूर्ण समर्पण नहीं हो पाया है.

पिछले विधानसभा चुनाव से हो रही तुलना
यही नहीं जानकार बताते हैं कि बीच-बीच में यह बातें सामने आती रहती है कि पिछड़ी जातियों से जो लोग भाजपा से जुड़े हैं उन्हें अक्सर पार्टी की बैठकों या फिर अन्य कार्यक्रमों में यह सुनने को मिलता है कि ये बीजेपी है जिसे समझना आसान नहीं. इसी बाबत पता चला है कि पार्टी की केंद्रीय इकाई की डिमांड पर जो रिपोर्ट बन रही है. उसमें तुलनात्मक रूप से यह देखा जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य थे. तब पिछड़ों और अनुसूचित जातियों को जोड़ने के लिए जो मुहिम चलाई गई थी उसमें और अब की मुहिम में कितना अंतर आया है.


जानकर बताते हैं की साल 2017 में पिछड़े बीजेपी से इसलिए जुड़े थे क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ी जाति से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य थे. वहीं एक राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि यूपी की सियासत में इन दिनों पिछड़ों और दलितों का समर्थन हासिल करने में सभी दल जुटे हैं. ऐसे में दलितों और पिछड़ों की सक्रियता का हिसाब लगाकर बीजेपी अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की कवायद में जुट गई है. वहीं यह पूरी रिपोर्ट अगले 10 दिनों के बीच बना कर भेजे जाने की तैयारी भी चल रही है. 


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