UP Electricity Rate: यूपी में और बढ़ेगा बिजली बिल? सियासी भूचाल के बीच डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने दिया जवाब
UP Electricity Bill: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने कहा, नियामक आयोग स्वायत्तशासी संस्था है, उस पर हमारा सीधा अधिकार नहीं है. जनता भरोसा रखे कि अतिरिक्त बोझ नहीं आने देंगे.
Uttar Pradesh News: यूपी में बिजली दरें बढ़ाने से जुड़ा बिजली कंपनियों का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग (State Electricity Regulatory Commission) में दाखिल होते ही हंगामा मच गया है. उपभोक्ताओं की नाराजगी तो दिख ही रही है साथ में सियासी भूचाल भी आ गया है. विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार (Yogi Adityanath government) को घेरना शुरू कर दिया है. पूर्व मंत्री व सपा प्रवक्ता पवन पांडेय ने कहा कि यही है बीजेपी सरकार (BJP government) का असली चाल, चरित्र और चेहरा. मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बन गई तो बिजली लगातार महंगी हो रही है. सिंचाई के लिए जो बिजली दी जा रही है उसके लिए भी पैसा लिया जा रहा. लगातार बिजली दर बढ़ाई गई है.
सपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि, बीजेपी वाले अगर वाकई जनहित चाहते तो किसान को मुफ्त बिजली देते, शहर में दाम कम करते. इस सरकार का पिछला कार्यकाल हो या वर्तमान, दोनों में एक काम बताइए जिसने राहत दी हो. इनके दिमाग में जनहित की बात नहीं होती. ये सिर्फ अपने बड़े उद्योगपतियों के अलावा किसी के लिए काम नहीं कर सकते. पवन पांडेय ने कहा कि सपा इस मुद्दे पर जनता के लिए संघर्ष करेगी. सपा नियामक आयोग में अपनी बात रखेगी.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने क्या कहा
वहीं महंगी बिजली के प्रस्ताव पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने कहा कि, अभी मामला विद्युत नियामक आयोग में है. नियामक आयोग एक स्वायत्तशासी संस्था है, उस पर हमारा सीधा अधिकार नहीं होता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद वह निर्णय लेंगे. हम अपने प्रदेश की जनता के साथ खड़े हैं, जनता इस बात का भरोसा रखे कि हम उसके ऊपर किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं आने देंगे.
कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा ने क्या कहा
वहीं कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि बीजेपी कभी अपने घोषणापत्र पर अटल नहीं रहती है. एक कार्यकाल बीत चुका, इस बार भी 1 साल होने को आया. बताइए क्या कोई विद्युत परियोजना शुरू की इन्होंने? जब इनके पास बिजली बनाने की योजना नहीं तो उसकी आपूर्ति कैसे करेंगे, यही सवाल हमने सदन में भी उठाया. प्रदेश में आबादी और बिजली की खपत बढ़ रही. अगर उपकेंद्र नहीं है तो बिजली खरीदेंगे, अगर बिजली खरीदेंगे तो किसान और मध्यम वर्ग पर बोझ पड़ेगा. इन्होंने तो किसान को मुफ्त और आधे दाम पर बिजली देने की बात कही थी. सिंचाई की बिजली माफ करने की बात कही थी, लेकिन आज बिजली बिल कम करना तो छोड़िए उसे बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है.
आराधना मिश्रा ने आगे कहा कि, मध्यमवर्ग जो पहले ही महंगाई की मार से परेशान है उसके ऊपर बिजली की कीमत बढ़ने का बोझ आएगा. ये इन्वेस्टर समिट कर रहे हैं, लेकिन इन्वेस्टमेंट कैसे आएगा क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है. चाहे फैक्ट्री लगाएं या मिल उसके लिए बेसिक जरूरत बिजली है. जब बिजली ही नहीं दे सकते तो इन्वेस्टमेंट करने कौन आएगा. पहले भी इन्वेस्टर समिट फेल हुई थी और फिर फेल होने जा रही. इस मुद्दे पर कांग्रेस जनता के साथ है और अपनी बात रखने नियामक आयोग से लेकर सरकार तक जाएगी.
मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने क्या कहा
वहीं इस मामले पर राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि देश और राज्य की सरकारें काम कर रही हैं और काम के आधार पर लोग समर्थन दे रहे हैं. अगर नीतियां और काम समाज के विपरीत होते तो इतने वोटों से योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री का पद ना मिलता. हमारी सेवाओं को जनता स्वीकार कर रही है और जनता ने इस पर मुहर लगा दी है. पहले भी कहा गया था कि तमाम चीजों के दाम बढ़े हैं, लेकिन चुनाव हुआ तो जनता ने स्वीकार किया कि दाम बढ़ाना शायद राज्य हित में आवश्यक रहा होगा तभी सरकार ने किया. हमें जनता ने चुना है, अगर जनता को असुविधा होगी हम वो काम नहीं करेंगे. जनता को महंगाई का सामना नहीं करना पड़ेगा.