UP News: क्या आपको पता है? एक राज्य को छोड़कर यूपी अकेला सूबा है जिसने देश को दो-दो राष्ट्रपति दिए
UP Men in President House: भारत के सबसे बड़े सूबे ने केंद्र को 9 प्रधानमंत्री दिये, लेकिन जब बात होती है देश के प्रथम नागरिक या कहें राष्ट्रपति की तो यह गौरव सिर्फ दो ही लोगों को प्राप्त हुआ है.
UP Men in President House: भारत के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election) में 5 महीने से भी कम समय रह गया है. सियासी गलियारों में इसको लेकर हलचल तेज हो गई है. ऐसे में सबकी नजर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Elections) पर है. राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, केंद्र के सत्ता की कुर्सी देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से हो कर गुजरती है. वह पद चाहे देश के राष्ट्रपति (President) का हो या प्रधानमंत्री (Prime Minister) का हो, उत्तर प्रदेश की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. यही कारण है कि, प्रदेश ने देश को 9 प्रधानमंत्री दिये. जबकि सबसे बड़े सूबे ने तामिलनाडु (Tamilnadu) के बाद सबसे अधिक दो राष्ट्रपति दिए.
उत्तर प्रदेश से पहली बार राष्ट्रपति बनने का गौरव चीफ जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्ला को प्राप्त हुआ. वह 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक भारत के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. उनकी इस पद पर नियुक्ति एक संयोग था. दरअसल, 3 मई 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद वराहगिरी वेंकट गिरि जो उस समय भारत के उपराष्ट्रपति थे, को भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया था.
कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने के बाद भी वी वी गिरी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें संविधान के मुताबिक कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद का त्याग करके ही उम्मीदवार बन सकते थे. ऐसी स्थिति में दो संवैधानिक सवाल उठ खड़े हुए, जिसके बारे में संविधान में कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. पहली समस्या यह थी कि कार्यवाहक राष्ट्रपति रहते हुए वी वी गिरी अपना त्यागपत्र किसके सुपुर्द करें और दूसरा सवाल और संशय यह कि, वह किस पद का त्याग करें यानि उपराष्ट्रपति का पद या कार्यवाहक राष्ट्रपति का?
जिसके बाद वी वी गिरी ने कानूनी एक्सपर्ट से सलाह मशविरा करके उपराष्ट्रपति पद से 20 जुलाई 1969 को दिन के 12 बजे से पहले अपना त्याग पत्र दे दिया, उन्होंने यह त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए लिखा था. यह भी संयोग था कि, कार्यवाहक राष्ट्रपति पद कार्यकाल भी उसी दिन 20 जुलाई 1969 के सुबह 10 बजे तक ही था. जिसके बाद संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों की गैरमौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और उनकी भी गैरमौजूदगी में सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर न्यायाधीश को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण कराई जा सकती है.
जिसके बाद 20 जुलाई 1969 को सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन के अशोक कक्ष में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. इस तरह वह उत्तर प्रदेश से पहले व्यक्ति थे, जो देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद को शुशोभित किया. उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में वी वी गिरी के चुनाव तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला.
रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश से पहले चुने हुए राष्ट्रपति
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश से दूसरे और देश के 14वें राष्ट्रपति के बनने का गौरव हासिल किया. वह प्रदेश से जस्टिस हिदायतुल्ला के बाद दूसरे राष्ट्रपति बने, लेकिन वह उन्हें चुनावी प्रक्रिया के जरिये चुना गया था. 14वें राष्ट्रपति और देश के प्रथम व्यक्ति के पद पर पहुंचने के लिए, उन्होंने पूर्व स्पीकर मीरा कुमारी को हराया था. उस चुनाव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2930 मत प्राप्त किये, जिसका मूल्य 7 लाख 2 हजार 44 मत है, यानि उन्होंने कुल मतों का 65 फीसद मत प्राप्त किया.
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, वह देश के दूसरे दलित नेता भी हैं, जो देश के राष्ट्रपति बने. उनसे पहले पूर्व राष्ट्रपति के.आर नारायणन दलित समुदाय से देश के पहले राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे.
तमिलनाडु ने दिया है देश को सबसे अधिक राष्ट्रपति
जिस राज्य की महान हस्तियों ने सबसे अधिक राष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ाया है, उनमें तमिलनाडु पहले स्थान पर है. यहां से सबसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक पहले नागरिक के रूप में अपनी सेवाएं दीं, उसके बाद आर. वेंकटरमण ने आठवें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक अपनी सेवायें दीं. देश के मिसाइल मैन के नाम से विख्यात डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु से तीसरे और देश के 11वें राष्ट्रपति बने, उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से लेकर 25 जुलाई 2007 तक रहा है.
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