UP Vaccination Plain: यूपी में तैयार हो रहा बच्चों को स्कूल में वैक्सीन देने का प्लान, जानें- कितने बच्चों को लगेगा टीका
Vaccination: यूपी में 15 से 18 साल के करीब एक करोड़ 40 लाख बच्चें हैं जो नौवीं से 12वीं के बीच पढ़ते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इनका स्कूल में ही वैक्सीनेशन कराने का प्लान तैयार कर रहा है.
Health Department Plan: कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों और इसके नए वेरिएंट के बीच 15 से 18 साल के किशोरों को कोविड वैक्सीन लगाने के फैसले ने लोगों को बड़ी राहत दी है. देश में तीन जनवरी से 15 से 18 साल की उम्र के लोगों का कोविड वैक्सीनेशन शुरू होगा. इसे लेकर केंद्र की गाइडलाइन भले ही आना बाकी है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और स्कूलों ने अपनी तैयारी पर मंथन शुरू कर दिया है. स्कूल इसलिए क्योंकि इस उम्र के अधिकतर बच्चे यहीं मिलेंगे.
करीब एक करोड़ 40 लाख लोग
मंगलवार को विभिन्न प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों की ट्रेनिंग होगी. केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के लोग ऑनलाइन ये ट्रेनिंग देंगे. इसके साथ ही तीन जनवरी से शुरु होने वाले वैक्सीनशन की विस्तृत गाइडलाइन आने की उम्मीद है. गाइडलाइन्स के आधार पर प्रदेश अपनी रणनीति को अंतिम रुप देगा. सीएम योगी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे केंद्र के अधिकारियों के संपर्क में रहें. स्टेट इम्मयूनाइजेशन ऑफिसर डॉ. अजय घई ने बताया कि प्रदेश में 15 से 18 साल की उम्र के करीब एक करोड़ 40 लाख लोग हैं. हालांकि किस जिले में कितने किशोरों को वैक्सीन लगनी है इसका डेटा तैयार किया जा रहा है.
नौ से 12वीं के बीच की उम्र
18 साल से कम उम्र वालों को वैक्सीन की शुरुआत के ऐलान से अभिभावकों ने भी राहत की सांस ली है. उनका कहना है कि भले ही बच्चों को कितने भी प्रीकॉशन लेकर स्कूल या घर से बाहर भेजें लेकिन हमेशा डर बना रहता है. जब से कोरोना का नया वेरिएंट सामने आया है और जब से कोरोना के मामले बढ़ना शुरू हुए हैं तब से ये डर भी बढ़ने लगा है. जिस उम्र के किशोरों को वैक्सीन लगनी हैं उनमें अधिकतर कक्षा नौ से 12 में पढ़ते हैं. ऐसे में क्लासेज भी नहीं छुड़वा सकते. अगर उन्हें वैक्सीन लग जायेगी तो काफी हद तक निश्चिन्त हो जाएंगे.
स्कूल्स में ही वैक्सीन लगाने का प्रयास
स्कूल संचालक भी इस फैसले से काफी राहत महसूस कर रहे हैं. वहीं अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन इस तैयारी में है कि स्कूल्स में ही इसके लिए कैम्प लगाए जाएं. इसे लेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क करना भी शुरु कर दिया है. अनिल अग्रवाल ने बताया कि इस उम्र के अधिकतर बच्चे स्कूल्स में पढ़ते हैं. अगर स्कूल्स में ही वैक्सीनेशन बूथ लगेंगे तो ये काम अभियान के रूप में तेजी से होगा. स्टूडेंट्स को अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा. साथ ही स्कूल्स के पास भी पूरा डेटा रहेगा कि कितने लाभार्थी वैक्सीन लगवा चुके. इन बूथ में स्कूल के स्टूडेंट्स के साथ ही आसपास के अन्य इस उम्र के किशोरों का भी वैक्सीनेशन हो पायेगा.
क्या कहती है स्टडी
बता दें कि पीएम ने 10 जनवरी से प्री-कॉशन यानी बूस्टर डोज़ लगाने की शुरुआत का भी ऐलान किया है. ये डोज गंभीर बीमारी वालों, कोरोना वॉरियर्स, हेल्थकेयर और फ्रंट लाइन वर्कर्स को लगनी है. 60 साल से अधिक उम्र के ऐसे करीब एक करोड़ 87 लाख लोग हैं. हालांकि इसके दायरे में कौन आएगा इसका पता गाइडलाइन्स आने के बाद लगेगा. लेकिन ये कितना जरूरी है इसका अंदाजा KGMU के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एक स्टडी से लगाया जा सकता है. विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्र ने बताया कि उन लोगों ने ऐसे लोगों के सैंपल लिए थे जिन्हें कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगवाए छह से सात महीने का वक्त बीत चुका. इनके सैंपल की जांच में सामने आया कि बड़ी संख्या में लोगों की एंटीबाडी कम हो चुकी थी. ऐसे केस भी मिले जिनमें एंटीबाडी या तो बिल्कुल खत्म हो गयी या 25 फीसदी से कम बची है. ऐसे में जाहिर है कि वैक्सीन की बूस्टर डोज जरूरी है.
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