Uttar Pradesh News: बिहार के बाद यूपी आया रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Controversy) बढ़ता ही जा रहा है. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (SP leader Swami Prasad Maurya) के विवादित बयान के बाद इसे लेकर चर्चाएं हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में हिंदुओं की इस धार्मिक किताब की प्रतियां जलाई गई हैं. इस किताब से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. खासकर उत्तर प्रदेश में जहां की राजनीति लंबे समय तक राम और राम मंदिर के आसपास घूमती रही हो. रामचरितमानस विवाद (Ramcharitmanas Row) अब थमने का नाम नहीं ले रहा है. लखनऊ में ओबीसी महासभा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियों को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया.
इस नेता का खत्म हो गया करियर
आज हम आपको बताने जा रहे हैं चार दशक पहले के एक ऐसे नेता के बारे में जिसका राजनीतिक करियर ही रामचरितमानस पर विवादित बयान देने के बाद पूरी तरह खत्म हो गया. उस (अब दिवंगत) नेता का नाम था रामपाल सिंह यादव था. रामपाल 1974 में कानपुर देहात की डेरापुर विधानसभा से सोशलिस्ट पार्टी के विधायक थे. उन्होंने विधानसभा के अंदर ही रामचरितमानस का पन्ना फाड़ दिया था. यह उन्हें इतना महंगा पड़ा कि उनकी राजनीति ही समाप्त हो गई. क्षेत्र में लोग उन्हें 'रामायण फाड़ यादव' के नाम से जानने लगे थे. इसके बाद वे दो बार चुनाव लड़े और दोनों में हार का सामना करना पड़ा.
चुनाव में मिली थी करारी हार
रामपाल को जनता बहुत पसंद करती थी और यही वजह थी की उन्हें दो बार चुनाव जिताकर विधानसभा भेजा, लेकिन अपने समय के इस लोकप्रिय नेता ने रामचरितमानस का पन्ना फाड़कर ऐसी गलती कर दी, जिसे जनता ने कभी माफ नहीं किया. रामचरितमानस पर उनकी अभद्र टिप्पणी से लोग इतने नाराज हुए थे कि उन्हें सिर आंखों पर बिठाने वाली जनता ने ही उनके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. 1974 के चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.
तीन लोग दे चुके हैं विवादित बयान
बता दें कि सबसे पहले बिहार के मंत्री चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था. इसके बाद कर्नाटक में एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया. इसके बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया.