Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पुलिस की गलती की वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को दस रातें सलाखों में गुजारनी पड़ी हैं. अवैध हथियार रखने के आरोप में जारी गिरफ्तारी वारंट (Warrant) को पुलिस ने उसी नाम के दूसरे व्यक्ति को थमाते हुए उसे गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है.
बेगुनाह ने 10 रात बिताई सलाखों के पीछे
जिले की घाटमपुर पुलिस की एक 'चूक' के कारण एक व्यक्ति को दस दिन जेल में बिताने पड़े. प्रमोद संखवार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया, जिसे पहले 2021 में अवैध बंदूक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन ये वारंट शहर के वसंत विहार इलाके के निवासी प्रमोद साहू को दे दिया गया. साहू, जिसे यह साबित करने वाले दस्तावेज पेश करने के बाद भी जेल में डाल दिया गया.
उसने पुलिस को बताया कि वे वह प्रमोद नहीं हैं जिसकी पुलिस को तलाश है. उसे 10 दिनों की जेल के बाद 22 सितंबर को जमानत दे दी गई. स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए, संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) आनंद प्रकाश तिवारी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया. जेसीपी ने कहा, ''यह काफी गंभीर है. घाटमपुर एसीपी ने जांच शुरू कर दी है और जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.''
नाम एक समान होने की वजह से हुई गलती
2021 में अपनी गिरफ्तारी के बाद, दुर्गा प्रसाद का बेटा संखवार जमानत पर बाहर था. अधिकारियों ने बताया कि वह अदालत में पेश होने में विफल रहा, जिसके बाद सिविल जज, जूनियर डिवीजन द्वारा इस साल 24 अगस्त को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया. हालांकि, संखवार के लिए भेजा गया वारंट गलती से साहू को दे दिया गया, जिसका एकमात्र दोष यह था कि उसका पहला नाम भी आरोपी के समान था और पिता का नाम भी दोनों का एक ही था.
पहचान पत्र दिखाने के बाद भी नहीं मानी पुलिस
साहू ने कहा, ''मैं उनसे विनती करता रहा, यहां तक कि उन्हें अपने पहचान पत्र भी दिखाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ." पुलिसकर्मियों ने साहू को बताया कि उसका नाम प्रमोद कुमार है, उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह अपनी पत्नी को पीटता है, जिसकी पहचान उन्होंने उषा के रूप में की है.
साहू ने अपनी बेगुनाही का दावा किया. उन्होंने कहा कि मेरे पिता दुर्गा प्रसाद साहू जीवित हैं, और मेरी पत्नी मेरे साथ रहती है, और उसका नाम उषा नहीं है. फिर भी, पुलिस अधिकारियों ने उस पर गलत तरीके से उस अपराध का आरोप लगाया. मामले ने काफी लोगों का ध्यान खींचा है, जिसके चलते साहू को कमिश्नर आरके स्वर्णकार के सामने पेश होना पड़ा, जिससे घटना की आधिकारिक जांच शुरू हो गई.
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