UP News: कासगंज (Kasganj) कोतवाली इलाके में गोरहा नहर के समीप एक मछलियों से भरे ट्रक कि जब जांच पड़ताल की गई तो उसमें बड़ी तादाद में मामूर मछली ले जाई जा रही थी. मामूर मछली मिलने की सूचना पर मत्स्य विभाग (Fisheries Department) के कार्यकारी अधिकारी गिरीश कुमार ने ट्रक में लदी मछलियों की जांच की. जिसमें करीब ढाई क्विंटल से ज्यादा मामूर (Mamur) और मछली जप्त की गई है. 


क्यों हुई कार्रवाई
कासगंज जनपद में मामूर मछली का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मामूर मछली का कारोबार भारत भर में प्रतिबंधित है. लेकिन इसके बावजूद इस मछली का पालन और उसका आयात व निर्यात किया जा रहा है. कांसगंज में भी एक ट्रक में करीब 2.5 कुंटल से ज्यादा मछली जिसमें पंग ओसियस मछली की प्रजाति भी थी को जब्त किया गया.


क्यों है प्रतिबंध
थाईलैंड में पाले जाने वाली मामूर मछली को भारत में प्रतिबंधित किया गया है. दरअसल, मामूर मछली थाईलैंड की प्रजाति है और थाईलैंड में इसका पालन और कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है. मामूर मच्छली इकोसिस्टम और मनुष्य के लिए खतरनाक है. मामूर मछली जानवरों के अपशिष्ट और जानवरों के सड़े गले को खिलाकर पाली जाती है. इसलिए इस मछली को खाने से कैंसर जैसे खतरनाक रोग होने की प्रबल संभावना रहती है. साथ ही साथ यह मछली इकोसिस्टम को भी प्रभावित करती है.


कब हुआ प्रतिबंध
पर्यावरण संरक्षण दायित्व के निर्वहन के लिए बनाई गई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मामूर मछली के साइड इफेक्ट्स को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया है. दरअसल, 2019 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक आदेश जारी करते हुए मामूर मछली को पर्यावरण और मनुष्य के लिए हानिकारक बताते हुए, देशभर में इसका पालन और बिक्री प्रतिबंधित कर दिया है. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसके पालन और इसके खाने पर भारत भर में प्रतिबंध लगा रखा है. यह प्रतिबंध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2019 में लगाया गया था.


किन मच्छलियों का होता है पालन
भारत सरकार शाकाहारी मछलियों के पालन और उसके उद्योग को निरंतर बढ़ावा दे रही है. इसमें पंगोसियस, रोहू कतला मैन, सिल्वरकार्प, ग्रासकार्प और कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियां तालाबों में पाली जाती हैं. इन्हें बाजारों में बेचा जाता .है मत्स्य विभाग के मुताबिक यह मछलियां पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं. कासगंज मत्स्य विभाग के कार्यकारी अधिकारी गिरीश कुमार के मुताबिक मामूर मछली मानव जीवन के लिए हानिकारक है. इसे खाने पर प्रतिबंध है, लिहाजा पकड़ी गई मामूर मछली को गड्ढा खोदकर जमीन में दफन करा दिया गया है.


व्यापारी को क्या मिली चेतावनी
उन्होंने बताया कि गड्ढा खोदने के बाद इस मछली को जमीन में डालने के बाद उस पर नमक डाला गया. जिससे जल्द ही गल जाए और इसका कोई उपयोग ना कर सके. इस मछली को नहर में भी छोड़ा जा सकता था. लेकिन नहर में छोड़े जाने के बाद यह भी एक तरह से पालन को बढ़ावा देना है, जबकि यह नियमों के विपरीत है. इस मामले में मामूर मछली का कारोबार करने वाले मछली व्यापारी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है. भविष्य में इस मछली के आयात निर्यात और बिक्री की मनाही की गई है.


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