Dussehra In Lucknow: नवाबों के शहर लखनऊ में दशहरे को लेकर एक अगल ही किस्म की तैयारियां की जा रही है. आज जगह-जगह रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. रावण दहन का कार्यक्रम ऐशबाग रामलीला ग्राउंड (Aishbagh Ramlila Ground) भी किया जाएगा. इस बार दशहरे पर यहां 80 फीट के रावण का दहन होगा. रावण दहन का कार्यक्रम शाम 7 किया जाएगा. दहन को लेकर समिति ने तैयारियां पूरी कर ली है. 


शाम 7:00 बजे दहन होगा रावण का पुतला  
पूरे देश में आज विजयदशमी धूम है, लोग असत्य पर सत्य की जीत का पर्व आज पूरे हर्षोल्लास  से मना रहे हैं, यूपी की राजधानी ले लखनऊ में भी आज इसको लेकर विशेष तैयारियां हो रही है. ऐशबाग स्थित रामलीला ग्राउंड में हर साल बड़े स्तर पर विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है. इसकी भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि,  2016 में पीएम मोदी भी यहां के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं. आज होने वाले रावण दहन की तैयारियां समिति ने पूरी कर ली है. ऐशबाग स्थित रामलीला ग्राउंड में शाम 7:00 बजे रावण के पुतले के दहन किया जाएगा और इसके साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व पूरे देश के साथ लखनऊ में भी धूमधाम से मनाया जाएगा.


नहीं जलेगा मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला
हर वर्ष की भांति इस बार भी रामलीला ग्राउंड में रावण दहन के लिए पुतला तैयार हो चुका है . इस बार रावण का पुतला 80 फीट ऊंचाई का बनाया गया है. इस बार समिति ने नया निर्णय लिया है की इस बार वो रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ को नहीं जलाएंगे. समिति का मानना है की जब भगवान प्रभु श्री राम के साथ रावण का युद्ध हो रहा था तो मेघनाथ और कुंभकरण ने रावण को समझाया था कि वह प्रभु है वह श्री राम है, वह ईश्वर का स्वरूप है, रावण को उनकी शरण में चले जाना चाहिए. इसलिए रावण के साथ कुंभकरण और मेगनाथ को नही जलाया जायेगा


क्यों खास है ऐशबाग रामलीला ग्राउंड
ऐशबाग रामलीला ग्राउंड बेहद खास है, यहां की प्रसिद्ध रामलीला गोस्वामी तुलसीदास ने शुरुवात की थी. सोलहवीं शताब्दी के पहले तुलसीदास ने ऐशबाग में रामलीला की शुरुवात की थी. जानकारों के अनुसार ऐशबाग रामलीला समिति की स्थापना 1860 में हुई थी लेकिन इसका इतिहास करीब 400 साल पुराना है. अवध के तीसरे बादशाह अली शाह ने शाही खजाने से रामलीला के लिए मदद भेजी थी. यहां की असली पहचान अवध के नवाब आसिफउददौला ने दी उन्होंने न केवल यहां ईदगाह के लिए जमीन दी बल्कि रामलीला के लिए भी एक साथ बराबर बराबर साढ़े 6 एकड़ जमीन दी,  इसके साथ ही वह खुद भी रामलीला में बतौर पत्र शामिल होते रहे हैं.


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