UP News: 6 लोगों की हत्या के दोषी की फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर, कहा- समाज के लिए खतरा है आरोपी
Allahabad High Court: अदालत ने कहा, सरवन पर जिस परिवार के भरण-पोषण, लालन-पालन और सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उसने उसी परिवार की निष्ठुर ढंग से हत्या कर दी, जो ‘‘सामूहिक नरसंहार’’ है.
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ (Lucknow Bench Allahabad High Court) ने 13 वर्ष पहले अपनी पत्नी और बच्चों समेत छह लोगों की हत्या करने के दोषी सरवन के कृत्य को नरसंहार करार देते हुए निचली अदालत द्वारा उसे सुनाई गयी फांसी (Death Sentence) की सजा पर मुहर लगा दी. अदालत ने सरवन के कृत्य को ‘‘दुर्लभतम श्रेणी’’ का अपराध करार दिया है और इस मामले में सबूत मिटाने की दोषी पाई गई सरवन की भाभी सुमन को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई चार साल सश्रम कारावास और दो हजार रुपए जुर्माने की सजा को भी सही करार दिया.
अपील को किया खारिज
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने निचली अदालत के संदर्भ को स्वीकार करते हुए और सरवन एवं उसकी भाभी की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. निचली अदालत ने 29 अगस्त, 2017 को सरवन को फांसी की सजा सुनाई थी और उसकी पुष्टि के लिए मामले का संदर्भ हाईकोर्ट को भेज दिया था.
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नहीं है आजतक पछतावा
राज्य सरकार की ओर से मामले में बहस करते हुए शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता पंकज तिवारी ने दलील दी कि ‘‘सरवन ने उसकी भाभी से अवैध संबधों का विरोध करने पर’’ अपनी पत्नी और अपने तीन बच्चों के अलावा अपने पड़ोसी की पत्नी और उसके एक बच्चे की कुल्हाड़ी से काटकर नृशंस हत्या कर दी थी और उसे इसका आज तक पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा कि जेल से ऐसी भी कोई रिपेार्ट नहीं आयी है कि सरवन के सुधरने की कोई गुंजाइश है, ऐसे में निचली अदालत द्वारा उसे सुनायी गयी फांसी की सजा की पुष्टि की जानी चाहिए.
वह समाज के लिए खतरा-पीठ
पीठ ने कहा कि सरवन ने अवैध संबंधों के कारण अपने पूरे परिवार और पड़ोसी के परिवार के भी दो सदस्यों की ‘‘क्रूर, निर्मम एवं पैशाचिक ढंग’’ से हत्या की है. उसने कहा कि उसके इस अपराध से दो परिवार तो प्रभावित हुए ही हैं, वह समाज के लिए खतरा भी बन गया है. अदालत ने कहा कि सरवन पर जिस परिवार के भरण-पोषण, लालन-पालन और सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, उसने उसी परिवार की निष्ठुर ढंग से हत्या कर दी, जो ‘‘सामूहिक नरसंहार’’ है.
सामान्य अपराध नहीं-कोर्ट
अदालत ने कहा कि सरवन ने छह लोगों की हत्या की है, जो सामान्य अपराध नहीं है. उसने कहा कि अपराधी ने न सिर्फ अपनी पत्नी संतोषी (35) बल्कि अपने तीन लड़कों रवि (डेढ़ साल) सुमिरन (चार) एवं रामरूप (छह) की निर्मम हत्या की, बल्कि बीच-बचाव करने गई वादी कोलई की पत्नी माधुरी (50) और उसके बेटे राजेंद्र (11) की भी सोच-विचार कर हत्या कर दी. कोलई ने 25 अप्रैल, 2009 को थाना मोहनलालगंज में छह लोगों की हत्या के मामले में सरवन और उसकी भाभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
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