Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के चलते हर युवा रोजगार की तलाश में भटकता हुआ नजर आ रहा है. वहीं डिप्लोमा और डिग्री देने की आड़ में फर्जी पारा मेडिकल कॉलेज की तरह बड़े पैमाने पर फल फूल रहे है. भोले भाले छात्र-छात्राओं का डिप्लोमा की आड़ में जमकर शोषण किया जा रहा है.
चल रहा फर्जीवाडा
पारा मेडिकल के अंतर्गत चलाए जा रहे डिप्लोमा की बात करें तो इस मेडिकल शिक्षण संस्थान के माध्यम से सर्टिफिकेट डेंटल असिस्टेंट, सर्टिफिकेट, एक्स-रे टेक्नीशियन, नर्सिंग केयर असिस्टेंट, टेक्नीशियन लैब असिस्टेंट, ईसीजी, सीटी स्कैन टेक्नीशियन, रूरल हेल्थ केयर, डायसिस टेक्नीशियन, एचआईवी फैमिली एजुकेशन, होम बेसिक हेल्थ केयर सर्टिफिकेट आदि डिप्लोमा करवाने और देने के लिए अधिकृत किया गया है. इन पैरामेडिकल में एमबीबीएस और बीएमएस के अलावा अन्य फर्जी डिप्लोमा दिए जाने की कवायद बड़े पैमाने पर चल रही है.
पढ़ने वालों ने दी जानकारी
ऐसा ही एक मामला जनपद मैनपुरी के कस्बा करहल में देखने को मिला है. जहां अब्दुल कलाम ग्रुप ऑफ एजुकेशन के तत्वाधान में एक बिल्डिंग की बेसमेंट में चल रहे पारा मेडिकल कॉलेज की हकीकत सामने आई है. मीडिया की टीम कस्बा करहल के मोटा मल रोड सिरसागंज चौराहा मंदिर के पास पहुंची. जहां एक बेसमेंट में छोटी जगह में सरस्वती पैरामेडिकल कॉलेज चल रहा है. जिसमें 35 छात्र और छात्राएं पंजीकृत हैं. जैसे ही मीडिया की टीम कॉलेज में पहुंची तो क्लासेस में जाकर छात्रों से बात की. उन्होंने बताया कि वह बीएमएस का कोर्स कर रहे हैं. इसकी पढ़ाई में 80,000 रुपए प्रतिवर्ष का खर्चा देना तय हुआ है. वहीं इस कॉलेज में पढ़ाने वाली शिक्षिका भी मौजूद थीं.
शिक्षिका और संचालक ने कही ये बात
कॉलेज के बीएमएस क्लास के एक छात्र ने बताया कि उससे दस हजार रुपए जमा करा लिए गए हैं. अगर बात करें डिप्लोमा की तो इस विद्यालय में डी फार्मा बीएमएस डी एम एल टी के अलावा बहुत सारे डिप्लोमा कराए जाते हैं. वहीं मौजूद शिक्षिका से बातचीत में वो विद्यालय का पूरा नाम तक नहीं बता पाई. शिक्षिका सोनी ने बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है और रोजगार की तलाश में इस कॉलेज में पढ़ाने लगी हैं. कॉलेज के संचालक विजय कुमार ने बताया कि वह कस्बा करहल में मेडिकल कॉलेज चला रहे हैं. जिस की मान्यता दिल्ली से मिली है और मान्यता बीएससी करने के बाद उन्हें मिल चुकी है.
अधिकारी ने दिया कार्रवाई का भरोसा
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार एक मेडिकल को चलाने के लिए बिल्डिंग के अलावा लाइसेंस देने के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करा देती है. तब कहीं एक मेडिकल कॉलेज चिकित्सा शिक्षा देने के लिए तत्पर हो पाता है. इस कॉलेज में बीएससी करने के बाद चिकित्सीय शिक्षा देने की मान्यता तत्काल मिल गई. जबकि इस विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षिकाएं भी अनट्रेंड हैं. तो वहीं संचालन करने वाले ने भी कोई भी चिकित्सा डिप्लोमा नहीं लिया है. अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन ऐसे फर्जी पारा मेडिकल कॉलेज के विरुद्ध क्या अभियान चलाकर किस तरह की कार्रवाई करेगा. इस संबंध में अपर जिला अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में है तत्काल जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
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