PM मोदी को चेतावनी देने वाले मौलाना तौकीर रजा का 24 घंटे के भीतर यू-टर्न, जहांगीरपुरी और लाउडस्पीकर पर कही ये बात
Loudspeaker Row: तौकीर रजा ने कहा- प्रधानमंत्री को पक्षपात नहीं करना चाहिए. धृतराष्ट्र की भूमिका से बाहर आकर आपको कोई काम करना होगा. मैं आपको हाथ जोड़ता हूं.
इत्तेहादे मिल्लत कॉउन्सिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़कर अपील की है और कहा है कि वे धृतराष्ट्र की भूमिका से बाहर निकलें. बीते दिनों तौकीर पीएम मोदी को चेतावनी दे चुके हैं. उन्होंने 'भारत में महाभारत' की धमकी देते हुए कहा था कि मुसलमान निकलेंगे तो कोई उन्हें संभाल नहीं पाएगा.वहीं अब मौलाना ने अपने बयान से यूटर्न ले लिया है. इन्हीं मुद्दों पर उनसे हुई बातचीत के संपादित अंश पढ़ें यहां-
क्या महाभारत के बयान से देश में अमन और शांति कायम होगी?
अमन और शांति के लिए मैंने महाभारत की बात की हैं. मैंने ये बात कही है कि उस वक्त के राजा ने बेईमानी, पक्षपात और नाइंसाफी की थी. माहौल को नहीं समझा था फिर जो महाभारत हुआ. वैसा ही आज भी मैं महसूस कर रहा हूं. उस वक्त के राजा ने जो कुछ भी किया था वो तो अंधा था, आज का राजा अंधा नहीं है लेकिन गूंगा बहरा उसी की तरह मैं महसूस कर रहा हूं क्योंकि देश में जो कुछ हो रहा है वो देखने, समझने और उसपर बोलने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.
तौकीर रजा ने कहा कि, मैंने अपील की है, मैं प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, मैं उनका समर्थन करता हूं. उन्होंने जो अच्छे काम किये हैं मैंने उनका समर्थन भी किया हैं लेकिन आज जो नफरत फैल रही है, मुझे ऐसा लगता है जैसे उस वक्त बेईमानी, नाइंसाफी और पक्षपात की वजह से महाभारत हो गया था. फिर से बेईमानी और सरकार की गलत नीति और नफरतों की वजह से कहीं एक बार फिर महाभारत न हो जाये. मैं अपने देश में एक और महाभारत नहीं होने देना चाहता. इसलिए मैंने ये कहा है कि प्रधानमंत्री के पास 10 दिन का समय है.
तौकीर रजा ने कहा, ईद के बाद हम दिल्ली में मीटिंग करके फाइनल करेंगे जिसमे हम जेल भरो आंदोलन चलाएंगे. ये आंदोलन देशव्यापी होगा. हर सूबे से, हर जिले से लोग शामिल होंगे. उसमे कुछ हिन्दू भी होंगे. पूरे देश में एक ही दिन में या फिर रोजाना जेल भरो आंदोलन होगा. जब तक सरकार बेगुनाहों पर बुलडोजर चलाना बन्द नहीं करेगी. लोग सड़कों पर निकलेंगे लेकिन किसी प्रकार का दंगा फसाद नहीं होगा. आप राम कहते है हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहते हैं.
तेज आवाज में अजान लाउडस्पीकर पर जरूरी है?
अजान से लोगों को आज तकलीफ होना शुरू हुई हैं, कितने दिन ये अजान हो रही है, तब तकलीफ क्यों नहीं हुई. जिस दिन मैं अजान इस वजह से दूंगा कि दूसरों को तकलीफ हो, वो अजान मेरे मुंह पर मार दी जाएगी. अपने उन हिन्दू भाइयो से मैं ये कहता हूं कि हनुमान चालीसा आप अपने मन की शांति के लिए पढिये बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर दूसरो को तकलीफ पहुंचाने के लिए इसका पाठ कर रहे हो तो अपराध कर रहे हो आप. इससे हनुमान जी खुश नहीं होंगे इससे हनुमान जी नाराज हो जाएंगे.
जहांगीरपुरी में जो कुछ हुआ उसे क्या आप सही मानते है?
जहांगीरपूरी में वो शोभायात्रा 3 बार निकली कहीं कुछ नहीं हुआ, नमाज के वक्त, अजान के वक्त जब लोग भूखे प्यासे बैठे हुए हैं, उनकी मस्जिद के सामने तलवारे लहराना, गालीगलौज करना, तमंचे लहराना अच्छा था या बुरा था. अगर वो दंगाई होते तो वो मस्जिद में नहीं होते उनके पास तमंचे होते, मजबूरन अपने आप को बचाने के लिए उन्होंने अगर कंकड़ फेंक दिया, पत्थर फेंक दिया तो आपलोग इतनी तकलीफ में इतने बिल बिला रहे हैं.
तौकीर रजा ने कहा, ये अव्यवस्था, नुकसान पुलिस की वजह से हुई. पुलिस वहां मौजूद क्यों नहीं थी. पुलिस के संरक्षण में लोग तलवारें लहरा रहे थे, तमंचे लहरा रहे थे, ये पुलिस का फेलियर है. हम किसके सामने गुहार करें? इसलिए हमने ये फैसला किया है कि हम न सरकार से कोई मांग करेंगे, न कहीं जाकर किसी से कोई मांग करेंगे. हम जिसका साथ देते हैं वो हमारा साथ नहीं देता. हमारे दोस्त हमारे साथ नहीं हैं. हम मजबूर हैं और हमारी कोई सरपरस्ती करने वाला नहीं है. हम पाकिस्तान जा नहीं सकते क्योंकि वो लेने को तैयार नहीं होगा, हम बंग्लादेश जा नहीं सकते, हमें चाइना वाले नहीं लेंगे, हमारे लिए समुद्र रह गया है.
क्या आपको सरकार और कानून किसी पर भरोसा नहीं रह गया?
क्या ये बेईमानी देखने के बाद आपको नजर नहीं आ रहा है. क्या आप भी धृतराष्ट्र की भूमिका में आ गए हैं. जो बेमानियां हो रही हैं वो आपको नजर नहीं आ रही हैं. उन तलवार बाजों, तमंचे बाजों के खिलाफ जो कार्रवाई होनी चाहिए थी वो भूखे प्यासे मस्जिद में बैठे लोगों पर की जाती है. उनपर बुलडोजर चलाया जाता है, बाकी घरों पर बुलडोजर चलाने के लिए आपका हाथ टूट जाता हैं. प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है. वो देश के राजा हैं उन्हें पक्षपात नहीं करना चाहिए. उन्हें सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास की बात करनी चाहिए. प्रधानमंत्री जी धृतराष्ट्र की भूमिका से बाहर आकर आपको कोई काम करना होगा. मैं आपको हाथ जोड़ता हूं.