UP Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव दिसंबर में होने हैं लेकिन चुनाव की तारीखों की घोषणा कब होगी इसका सभी को बेसब्री से इंतजार है. पहले कहा जा रहा था कि आरक्षण का प्रस्ताव तैयार होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों पर कोई फैसला लेगा और अब आरक्षण का प्रस्ताव नगर विकास विभाग ने लगभग तैयार कर लिया है. माना जा रहा है कि जल्द ही इसे स्वीकृति मिलने के बाद आरक्षण जारी कर दिया जाएगा. हालांकि उसके बाद एक हफ्ते का वक्त इस पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए भी दिया जाएगा और फिर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा.


उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां 3 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है तो वहीं दिसंबर महीने में ही निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान भी होना है. हर सियासी दल चुनाव की तारीखों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, कांग्रेस या बहुजन समाज पार्टी आरक्षण के प्रस्ताव का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि आरक्षण का प्रस्ताव तैयार होने के बाद ही यह तय होगा कि किस सीट पर कौन चुनाव लड़ सकता है. 


आरक्षण का प्रस्ताव तैयार 
वहीं आरक्षण का इंतजार जल्द खत्म हो सकता है, क्योंकि नगर विकास विभाग ने प्रदेश के सभी 763 स्थानीय निकायों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे स्वीकृति मिलने के बाद जारी भी कर दिया जाएगा. हालांकि आरक्षण का प्रस्ताव जारी होने के बाद एक हफ्ते का वक्त उसपर आपत्ति दर्ज कराने के लिए भी दिया जाता है और फिर जब राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण का यह पूरा प्रस्ताव मिल जाएगा उसके बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान आयोग करेगा. माना जा रहा है कि 2017 के चुनाव में जो सीटें जिस केटेगरी के लिए रिजर्व थीं इस बार चक्रानुक्रम में उनमे बदलाव होगा. 


नगर निगम में क्या थी आरक्षण की स्थिति
अगर 2017 के निकाय चुनाव की बात करें तो उत्तर प्रदेश में तब 16 नगर निगम थे. इनमें 6 नगर निगम में महापौर की सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं जिसमें लखनऊ, कानपुर, मेरठ, फिरोजाबाद, वाराणसी और गाजियाबाद शामिल थे. वहीं सात नगर निगम में महापौर के पद की सीट को अनारक्षित रखा गया था. वाराणसी और फिरोजाबाद की मेयर सीट को पिछड़ी जाति की महिला के लिए रिजर्व किया गया था जबकि मेरठ की मेयर सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए रिजर्व की गई थी. गोरखपुर और सहारनपुर के मेयर की सीट ओबीसी के लिए रिजर्व की गई थी जबकि उस वक्त नए बने मथुरा-वृंदावन नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व की गई थी. 


वहीं नई बनी नगर निगम अयोध्या की सीट को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया था. जाहिर है कि चक्रानुक्रम के चलते इस बार इन सीटों के आरक्षण में बदलाव होगा. वहीं अब प्रदेश में नगर निगम की कुल संख्या बढ़कर 17 हो चुकी है. इस बार शाहजहांपुर नया नगर निगम है और आबादी के लिहाज से माना जा रहा है कि ये सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हो सकती है. 


नगर पालिका में क्या थी आरक्षण की स्थिति
वहीं अगर नगर पालिकाओं की बात करें तो 2017 में इनकी संख्या उत्तर प्रदेश में 199 थी जिसमें 121 सीट अनारक्षित थी, 40 महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया था. वहीं कुल 53 सीटें ओबीसी के लिए रिजर्व रखी गईं थी जिनमें 18 सीट पिछड़े वर्ग की महिला के लिए और 25 नगरपालिका की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखी गई थी. इसमें 17 अनुसूचित जाति के लिए और 8 सीटें अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित की गईं थी. 


नगर पंचायतों में क्या थी आरक्षण की स्थिति
वहीं नगर पंचायतों की बात करें तो तब उत्तर प्रदेश में 438 नगर पंचायतें थीं इसमें 178 सीट अनारक्षित श्रेणी की रखी गई थी जबकि 45 सीटें महिलाओं के लिए थीं इसमें से 18 अनुसूचित जाति की महिला के लिए और 40 सीटें पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए रखी गईं थीं. 86 सीट सामान्य वर्ग की महिला के लिए जबकि अनुसूचित जाति की महिला के लिए एक सीट रिजर्व थी. 37 सीटें अनुसूचित जाति और 78 पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित की गईं थीं. इस बार इन सीटों में भी आरक्षण का फार्मूला बदल सकता है.


माना जा रहा है कि 2 से 3 दिसंबर के बीच आरक्षण के प्रस्ताव को जारी कर दिया जाएगा और आपत्तियों के लिए 1 हफ्ते का समय दिया जाएगा. वहीं चर्चा इस बात की भी है कि 10 से 12 दिसंबर के बीच राज्य निर्वाचन आयोग स्थानीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है और 14 जनवरी से पहले उत्तर प्रदेश में सभी निकाय की सीटों पर चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे.


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