Pryagraj Magh Mela 2023: कोरोना महामारी के बाद से इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज माघ मेले में बड़ी संख्या में कल्पवासी आए हैं. माघ मेले में देश के कोने-कोने से साधु संत आते हैं. ऐसे में माघ मेले में नागा साधु भी आ रहे हैं. दरअसल, नागा साधु ज्यादा किसी से बात नहीं करते और इनकी दुनिया काफी रहस्यमय होती है. वहीं प्रयागराज में पुरुष नागा साधुओं के साथ ही साथ महिला नागा साधु भी बड़ी संख्या में यहां आती हैं. जिस तरह से पुरुष नागा साधुओं के बारे में ज्यादा जानकारी किसी के पास नहीं है वैसे ही महिला नागा साधुओं के बारे में भी ज्यादा जानकारी लोगों के पास नहीं है. कैसे बनती हैं महिला नागा साधु? कौन होती हैं महिला नागा साधु? इनका जीवन कैसे होता है?
दरअसल, महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया आसान नहीं होती है एक कठिन तपस्या से गुजरना होता है. अपने आपको ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित करना होता है. महिला नागा साधु बनने से पहले 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. अगर कोई महिला ऐसा कर पाती हैं तब उनके गुरु उनको नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं. साथ ही इनकी पिछली जिंदगी के बारे में पता किया जाता है. यह पता किया जाता है कि महिला भगवान के प्रति कितनी समर्पित है. महिला नागा साधु को अपना पिंडदान करना होता है पिछली जिंदगी को भूलना होता है. इसके बाद मुंडन और फिर स्नान कर साधारण महिला से नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन तीनों ही संप्रदायों के अखाड़े नागा बनाते हैं. वहीं महिला नागा साधु एक ही कपड़ा वो भी बिना सिला हुआ पहनती हैं.
इन नामों से बुलाते हैं महिला नागा साधुओं को
महिला नागा साधुओं को नागिन, अवधूतानी कहकर संबोधित किया जाता है. दूसरी साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं. महिला नागा साधु पूरी तरह शिव को समर्पित रहती हैं. जागने से लेकर रात में सोने के वक्त तक भगवान में ही लीन रहती हैं. 13 अखाड़ों से जूना अखाड़ा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है. जूना अखाड़े में महिलाओं के माई बाड़ा अखाड़े को भी शामिल कर लिया गया था. महिलाओं के इस अखाड़े से अलग अखाड़ों में भी कई महिला साधु हैं जो अलग-अलग अखाड़ों से जुडी हुई हैं और नाग सहित कई अलग-अलग पदवियों से सम्मानित हैं. माई या नागिनों को अखाड़ों के प्रमुख पदों में किसी पद पर नहीं चुना जाता है. माघ मेले का अगला स्नान पर्व 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पड़ेगा. इसके बाद 21 जनवरी को मौनी अमावस्या, 26 जनवरी को बसंत पंचमी, पांच फरवरी को माघी पूर्णिमा और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ ही माघ मेला संपन्न होगा.