Uttar Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार को  नए कानून के तहत कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुमति दी है. इससे पहले राज्य सरकार ने बताया कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्ति के हुए नुकसान के लिए लाल 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध शुरू की गई कार्रवाई और 274 नोटिस वापस ले ली है.


जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जज जस्टिस सूर्यकान्त की बेंच ने शुक्रवार को कहा है कि राज्य सरकार करोड़ों रुपये की पूरी राशि वापस करेगी जो 2019 शुरू की गई कार्रवाई के तहत कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली गई थी. यूपी सरकार 31 अगस्त 2020 को सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए नया कानून लाई थी.


लखनऊ में जारी की गई थी 95 नोटिस
अधिकारियों के अनुसार, विभिन्न जिलों में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) की अगुवाई रिकवरी क्लेम ट्रिब्यूनल ने नुकसान की वसूली के लिए 274 नोटिस जारी किए थे. लखनऊ में प्रदर्शनकारियों को 95 नोटिस जारी की गई थी.


इससे पहले 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. बीती सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जज जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा था- "आप शिकायतकर्ता,  गवाह, आप वादी बन गए हैं... और फिर आप लोगों की संपत्तियां कुर्क करते हैं. क्या किसी कानून के तहत इसकी अनुमति है?" 


परवेज आरिफ टीटू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई उस कानून के खिलाफ है जिसकी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने की है. याचिका में अनुरोध किया गया था कि कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस रद्द किये जाएं.


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