Uttarpradesh News: लगातार बढ़ती आबादी के बीच देश के मध्यमवर्ग और गरीब लोगों को सही समय पर इलाज मिलना आज के दौर में एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है. ऐसी परिस्थितियों में हमारे समाज का सबसे अभिन्न अंग माने जाने वाले चिकित्सकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. इसी बीच बनारस से एक खबर निकलकर आ रही है जो बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए लंबा इंतजार करने वाले मरीजों के लिए आशा से भरी खबर साबित हो सकती है. दरअसल BHU के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर विजय नाथ मिश्रा बीएचयू अस्पताल के साथ-साथ काशी की पहचान घाटों पर भी वॉक करते हुए दर्जनों मरीजों को चिकित्सा परामर्श और दवाइयां उपलब्ध कराते हैं. सप्ताह के अंतराल में बनारस के घाट पर ही उनकी ओपीडी भी लगती है. विशेष बात ये है कि अस्पताल के साथ-साथ शाम के समय घाटों पर मरीजों को डॉक्टर साहब का इंतजार भी इसी सोच के साथ रहता है कि शाम हो गया है डॉक्टर साहब आते होंगे.
"शाम के समय रहता है डॉक्टर साहब का इंतजार"
बीएचयू के सर सुंदर दास अस्पताल में जनपद के साथ साथ बिहार, बंगाल से भी लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. अलग-अलग विभागों से लोग चिकित्सा परामर्श और अपने बेहतर इलाज के लिए ओपीडी व्यवस्था का सहारा लेते हैं. वहीं बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉक्टर विजय नाथ मिश्रा का लोगों को इंतजार बनारस के घाटों पर भी होता है क्योंकि वहां पर उनकी ओपीडी सेवाएं भी लगती है. बीते सालों से शाम के वक्त रोजाना घाट पर वॉक करते हुए जैसे ही लोगों को डॉक्टर साहब आते दिख जाते हैं लोग अपनी रिपोर्ट और दवाइयों के साथ रुक कर उनसे चिकित्सा परामर्श देते हैं. इसके अलावा सप्ताह के अंत में मानसरोवर घाट पर उनकी निशुल्क ओपीडी भी लगती है जिसमें मिर्गी, लकवा, टीबी, ब्रेन क्लॉटिंग और अन्य गंभीर समस्याओं से जुड़े उपचार घाटों पर उपलब्ध हो जाते हैं. ऐसे में खास तौर पर जनपद और आसपास के लोगों को शाम का इंतजार रहता है कि बनारस के घाट पर बैठे हुए डॉक्टर साहब आकर उन्हें बेहतर उपचार उपलब्ध करा देंगे.
"बनारस की पहचान चिकित्सा केंद्र के तौर पर भी"
देश के साथ पूरी दुनिया में बनारस की पहचान गंगा घाट से है. इसके साथ ही बनारस शिक्षा, व्यापार, अध्यात्म के साथ-साथ चिकित्सा का भी बहुत बड़ा केंद्र बन चुका है. हजारों की संख्या में लोग बीएचयू के सर सुंदर दास अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में अनेक लोगों की संख्या ऐसी भी है जो अधिक भीड़ की वजह से अस्पताल के ओपीडी में चिकित्सक से नहीं मिल पाते हैं, निश्चित ही चिकित्सकों के ऐसे प्रयास से माध्यम से मरीजों को परामर्श मिलने में काफी आसानी आती होगी.
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