UP News: बांके बिहारी मंदिर के विकास के लिए पैनल गठित, 17 जनवरी को हाईकोर्ट में पेश की जाएगी रिपोर्ट
Shree Banke Bihari Mandir: बांके बिहारी मंदिर के आसपास के 5 एकड़ इलाके को विकसित करने के लिए, गठित समिति प्रस्तावित विकास योजना के संबंध में 17 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
Mathura News: वृंदावन (Vrindavan) में श्री बांके बिहारी मंदिर की प्रस्तावित विकास योजना पर अनुमानित खर्च के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए, आठ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. समिति का गठन इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) द्वारा 20 दिसंबर 2022 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित आदेश के आलोक में किया गया है.
समिति का गठन जिला मजिस्ट्रेट मथुरा, नवनीत चहल द्वारा किया गया है. वहीं इसकी अध्यक्षता मथुरा वृंदावन नगर निगम के नगर आयुक्त अनुनय झा कर रहे हैं. इस संबंध में अनुनय झा ने कहा, "समिति को आवश्यक भूमि की लागत के बारे में अनुमानित खर्च के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी है और बांके बिहारी मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि के इस क्षेत्र में किए जाने वाले विकास योजना का प्रस्ताव करना है."
मथुरा जिला मजिस्ट्रेट उच्च न्यायालय में पेश करेंगे रिपोर्ट
नगर आयुक्त अनुनय झा ने कहा कि "हमने अपना काम शुरू कर दिया है और अब सर्वेक्षण करने के लिए क्षेत्र का दौरा करेंगे. हम भूमि की लागत के आकलन के लिए पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करेंगे और भक्तों को एक आसान दर्शन अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से एक विकास योजना का प्रस्ताव देंगे." समिति को राज्य सरकार को भेजे जाने से पहले एक सप्ताह के भीतर जिला मजिस्ट्रेट मथुरा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष निर्धारित तिथि जो कि 17 जनवरी है, के समक्ष भूमि लागत का अनुमान और प्रस्तावित विकास योजना प्रस्तुत करेगी.
क्यों दायर की गई जनहित याचिका?
दरअसल बीते वर्ष बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला आरती के दौरान एक हादसा हो गया था. ऐसे हादसे दोबारा न हों इसलिए प्रदेश सरकार ने पूर्व डी़जीपी सुलखान सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, इस कमेटी के दूसरे सदस्य अलीगढ़ के मंडलायुक्त गौरव दयाल को बनाया गया था.
इस घटना के बाद अनंत शर्मा नाम के व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायलय में एक जनहित याचिक दायर कर मांग की कि, बांके बिहारी मंदिर के आसपास के क्षेत्रों को विकसित किया जाए. जिसके बाद जिलाधिकारी के जरिये बनाई गई समिति इलाहाबाद उच्च न्यायलय के दिशा निर्देश के तहत मंदिर के विकास के लिए प्रस्तावित 5 एकड़ के क्षेत्र पड़ने वाली जमीनों और आवासों का मूल्यांकन करेगी.
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