Uttar Pradesh News: यूपी के प्रयागराज सहित कई शहरों में बीते जुमे को हुई हिंसा के बाद गोरखपुर पुलिस पूरी तरह से एक्शन में दिखाई दे रही है. गोरखपुर पुलिस ने जुमे यानी शुक्रवार से एक दिन पहले किसी भी परिस्थिति में शहर में दंगा और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही कमर कस ली है. गुरुवार को गोरखपुर पुलिस ने आलाधिकारियों की मौजूदगी में दंगा को नियंत्रित करने के लिए पूर्वाभ्यास (मॉक-ड्रिल) किया. गोरखपुर के पुलिस लाइन्स परेड ग्राउंड में गुरुवार को मॉक-ड्रिल किया गया. गोरखपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, एसएसपी डा. विपिन ताडा, एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई, सिटी मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव समेत एसडीएम और अलग-अलग सर्किल के सीओ मॉक ड्रिल के दौरान उपस्थित रहे. कुछ पुलिसवालों ने उपद्रवियों की भूमिका का निर्वहन किया. सबसे पहले पुलिस के जवानों को बंदूक और अत्याधुनिक हथियारों के साथ हैंड ग्रेनेड और रबर बुलेट, आंसू गैस के गोलों के बारे में बारीकी के साथ जानकारी दी गई. इसके बाद प्रदर्शन करने वाले लोगों को नियंत्रित करने की पुलिसकर्मियों द्वारा प्रयास किया गया.
ऐसे हटाये गये प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों के बीच सबसे पहले एलआईयू के सदस्य शामिल हो गए. इसके बाद आलाधिकारियों को इसकी सूचना दी गई. जब प्रदर्शनकारी और बलवाई वहां पहुंची पुलिस की बात नहीं माने, तो घुड़सवार दल को उन्हें तितर-बितर करने के लिए भेजा गया. इसके बाद भी जब वे नहीं मानें तो पुलिस बल ने उनके ऊपर लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया. जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, तो आंसू गैस के गोले के साथ रबर बुलेट और अन्य अत्याधुनिक हथियारों का अधिकारियों के निर्देश के बाद इस्तेमाल किया गया. एसडीएम और सीओ के रबर बुलेट, आंसू गैस के गोले और हैंड ग्रनेड का इस्तेमाल कर माहौल को काबू में करने का प्रयास किया. इस दौरान अधिकारियों का बताया गया कि प्रतीकात्मक रूप से एक बलवाई की मौत हो गई, तो वहीं चार अन्य घायल हुए हैं. घायलों को त्वरित रूप से अस्पताल इलाज के लिए भेजा गया.
मॉक-ड्रिल पुलिस की ट्रेनिंग का हिस्सा
इस दौरान गोरखपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि पहले संवाद के माध्यम से ही किसी भी विवाद को निपटाने का प्रयास करना चाहिए. उनका मॉक-ड्रिल काफी अच्छा रहा. इसमें निरंतर और अधिक अच्छा करने का प्रयास करते रहना होगा. जिससे किसी भी तरह की विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए वे हमेशा तैयार रहे. उन्होंने कहा कि मॉक-ड्रिल पुलिस की ट्रेनिंग का हिस्सा है. इस तरह के मॉक-ड्रिल समय-समय पर होते रहते हैं. जिससे शहर में किसी भी प्रकार की खराब स्थिति से निपटा जा सके. रिहर्सल भी हो गया है. हर परिस्थिति के लिए पहले उनका विकल्प संवाद ही रहेगा. इसके बावजूद भी कोई ऐसी विषम परिस्थिति आती है, तो उसके लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं. गोरखपुर के एसएसपी डा. विपिन ताडा ने जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि उनका मॉक-ड्रिल बहुत अच्छा रहा. इससे ये पता चलता है कि वे किसी भी विपरीत परिस्थिति और दंगा को नियंत्रण करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
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बातचीत के जरिये से हल निकालने की कोशिश
उन्होंने कहा कि एक और एक ग्यारह और एक-एक और एक जुड़ जाएं, तो 111 हो जाएंगे. टीम के रूप में हमारी ताकत कई गुना बढ़ जाती है. आज की मॉक-ड्रिल पूरी तरह से सफल रही है. हमें ये प्रयास करना चाहिए कि हम किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में बगैर लाठी और बल का प्रयोग किए हुए बातचीत के माध्यम से हल निकाल लें. असली पुलिसिंग यही है. एसएसपी डा. विपिन ताडा के अनुसार लाठी चार्ज करना पड़े, तो उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद ही किया जाए. यह एक कानूनी प्रक्रिया है. विधि और कानून के अंतर्गत रहकर ही इसका प्रयोग करें. अपने पूरे उपकरण को भली-भांति तैयार रखें. बातचीत करने भी जाएं, तो दंगा नियंत्रण उपकरण पहनकर ही जाएं, क्योंकि भीड़ के बीच कब विवाद हो जाए, ये कोई नहीं जानता है. इसके साथ ही ये भी कोई नहीं जानता है कि कहां से और कब कौन पत्थर चला दे. हमारा एक भी जवान घायल होगा, तो पुलिस का बड़ा नुकसान है.
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