UP News: प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में एमएलसी (MLC) अक्षय प्रताप सिंह राजा भैया (Raja Bhaiya) के दाहिने हाथ हैं और लगातर कभी एमएलसी तो कभी संसद में प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. राजा भैया की दबदबे में इनकी अहम भूमिका रहती रही है. इस बार भी एमएलसी के चुनाव में नामांकन कर चुके अक्षय प्रताप सिंह पर बीती 15 तारीख को 420, 468 व 471 की धाराओं में दोष सिद्ध हुआ तो इनकी पत्नी और राजा भैया के करीबी कैलाश नाथ ओझा का बतौर निर्दल प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया गया.


पहले से था आभास
इस फैसले से लगता है कि कहीं न कहीं इनको इस बात का आभास पहले से ही हो गया था कि इन्हें इस मामले में जेल जाना पड़ सकता है. पहले अदालत ने 22 तारीख को सजा सुनाए जाने की तिथि घोषित की थी, जिसके चलते वे अदालत में हाजिर हुए थे. लेकिन अदालत का फैसला नहीं आया. अगले दिन 23 तारीख को सजा सुनाते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल जाने की सूचना मिलते ही देर शाम सात बजे के करीब राजा भैया जेल पहुंच कर अक्षय प्रताप को हिम्मत बंधाई. 


कब आया फैसला
वहीं बुधवार दोपहर पुलिस अक्षय प्रताप को लेकर जेल से निकली और दो बजे अदालत के सामने पेश कर दिया. इस दौरान समर्थकों का परिसर में जमावड़ा लगा रहा और कयासबाजी जारी रही. लगभग तीन बजकर 45 मिनट पर इस हाईप्रोफाइल मामले में फैसला आया, तो समर्थकों में निराशा साफ नजर आने लगी. फैसले के बाद पुलिस का घेरा कस गया और अक्षय प्रताप को नगर कोतवाल ने अपनी गाड़ी से पुनः वापस जेल की सीखचों के पीछे पहुचा दिया. 


क्या है मामला
इस बाबत हमने शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि 1997 में अक्षय प्रताप सिंह ने नगर कोतवाली के सिविल लाइंस का फर्जी पता दिखा कर शस्त्र लाइसेंस बनवाया था. जो जांच में फर्जी पाया गया. जिसके बाद आरोप पत्र अदालत में दाखिल हुआ और मामले की सुनवाई जारी रही. इस मामले में तमाम सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर एमपी/एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट बलराम दास जायसवाल की अदालत ने इस मामले में अधिकतम सजा सुनाई है. जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया.


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