Prayagraj News: यूपी में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह अगले हफ्ते लखनऊ (Lucknow) के इकाना स्टेडियम (Ekana Stadium) में होगा. सीएम के तौर पर योगी आदित्यनाथ (Adhityanath) का नाम लगभग तय माना जा रहा है. योगी के नाम पर न तो कोई विवाद है और न ही कोई दूसरा नाम चर्चा में है. हालांकि योगी के दूसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में किन नेताओं को जगह मिलेगी, इसे लेकर तस्वीर अभी कतई साफ नहीं है.
क्यों है प्रयागराज की चर्चा?
मंत्रिमंडल को लेकर चर्चाओं और कयासबाजियों का दौर लगातार जारी है. मंत्रियों के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा प्रयागराज मंडल की हो रही है. जहां डिप्टी सीएम केशव मौर्य समेत तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. प्रयागराज से सटे चित्रकूट जिले में मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को भी जोड़ लें तो पांच जिलों में चार मंत्रियों को हार झेलनी पडी है. ऐसे में कई नये चेहरों को मौका मिलना तय माना जा रहा है.
तय माना जा रहा केशव प्रसाद का नाम
मौजूदा सियासी माहौल की बात करें तो सिराथू सीट से नजदीकी हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य का एक बार फिर डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है. इसके पीछे कई वजहें हैं. केशव प्रसाद मौर्य यूपी में बीजेपी की तरफ से पिछड़ों का बड़ा चेहरा हैं. समाजवादी पार्टी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में गैर यादव ओबीसी वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की है. पटेलों के साथ ही कई दूसरी पिछड़ी जातियों के तमाम वोटरों का बीजेपी से मोहभंग हुआ है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी पिछड़ों की नाराजगी का खतरा शायद ही मोल लेना चाहेगी. ऐसे में यह तकरीबन तय माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य नई सरकार में भी नंबर दो की हैसियत में ही रहेंगे. केशव का एमएलसी का कार्यकाल अभी तकरीबन डेढ़ साल बचा है. ऐसे में उनके सदन जाने की राह में कोई अड़चन भी नहीं है. केशव के बहाने पार्टी कौशाम्बी जिले में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहेगी क्योंकि इस बार तीनों ही सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई हैं.
फतेहपुर में क्या है चर्चा
पिछले कार्यकाल में फतेहपुर जिले से दो मंत्री थे. इनमे से रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह हुसैनगंज सीट से सपा की ऊषा मौर्य से चुनाव हार चुके हैं. दूसरे मंत्री अपना दल एस के जय कुमार सिंह जैकी बिंदकी सीट से दूसरी बार भी विधायक जरूर बन गए हैं, लेकिन उनकी पार्टी उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में भेजेगी, इसकी उम्मीद कम ही है. फतेहपुर की छह में से बीजेपी गठबंधन को दो पर समाजवादी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में फतेहपुर जिले से इस बार खागा सीट से चौथी बार विधायक चुनी गईं कृष्णा पासवान को मौका मिलना लगभग तय माना जा रहा है. कृष्णा पासवान महिला हैं, दलित समुदाय से आती हैं और चौथी बार विधायक बनने के बाद वह फतेहपुर से इकलौती मंत्री हो सकती हैं. अब देखना यह होगा कि उन्हें कैबिनेट में जगह मिलती है या फिर राज्यमंत्री के तौर पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कराया जाता है.
प्रतापगढ़ में किसकी है चर्चा
प्रतापगढ़ जिले की बात करें तो पिछली बार यहां दो कैबिनेट मंत्री थे. पट्टी से विधायक राजेंद्र सिंह उर्फ मोती सिंह और डा० महेंद्र सिंह. महेंद्र सिंह एमएलसी हैं, जबकि मोती सिंह पट्टी सीट से चुनाव हार चुके हैं. महेंद्र सिंह को इस बार संगठन में भेजे जाने की चर्चा है. हालांकि सीएम योगी का करीबी होने के चलते उन्हें दोबारा मौका मिल सकता है. चुनाव हारने के बाद मोती सिंह को दोबारा कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना न के बराबर है. प्रतापगढ़ की सात में से सिर्फ एक सीट ही सीधे तौर पर बीजेपी के खाते में आई है. सदर सीट पर राजेंद्र मौर्य चुनाव जीते हैं. हालांकि पहली बार ही विधायक होने और राजनीति में कोई खास अनुभव नहीं होने से उन्हें मंत्री बनाए जाने की कोई संभावना नजर नहीं आती. चुनाव हार चुके मोती सिंह मंत्री की दौड़ से अब लगभग बाहर हो चुके हैं.
कौशांबी में किसका दावा है मजबूत
कौशाम्बी जिले में तीनों सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती हैं. प्रयागराज जिले की बात करें तो पिछली सरकार में यहां से सिद्धार्थनाथ सिंह और नंद गोपाल गुप्ता नंदी कैबिनेट मंत्री बने थे. इन दोनों की कुर्सी इस बार भी सुरक्षित मानी जा रही है. दोनों के विभाग जरूर बदल सकते हैं. मंत्रिमंडल में सिद्धार्थनाथ का कद बढ़ सकता है. प्रयागराज जिले से इस बार मंत्रियों की संख्या बढ़ भी सकती है. यहां करछना सीट पर पहली बार बीजेपी का खाता खुला है. निषाद समुदाय के पीयूष रंजन ने समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री उज्जवल रमण को हराकर जीत हासिल की है. ऐसे में निषाद वोटरों को रिझाने के लिए पार्टी उन्हें राज्यमंत्री के तौर पर जगह दे सकती है. प्रयागराज की फाफामऊ सीट से गुरु प्रसाद मौर्य दूसरी बार विधायक बने हैं. उनका राजनीतिक अनुभव जबरदस्त है. ऐसे में पार्टी उन्हें भी मंत्रिपरिषद में जगह दे सकती है. प्रयागराज से सटी हुई प्रतापगढ़ की सीट से राजेंद्र मौर्य पहली बार के विधायक हैं. ऊंचाहार सीट अमरपाल मौर्य को हार चुके हैं. फतेहपुर की हुसैनगंज सीट से समाजवादी पार्टी की ऊषा मौर्य ने मंत्री रणवेंद्र सिंह को हराया है. ऐसे में गुरु प्रसाद मौर्य को भी मौका मिल सकता है.
वाचस्पति को लेकर क्या है चर्चा
प्रयागराज में अपना दल एस के डा० वाचस्पति तीसरी बार विधायक बने हैं. वह बारा सुरक्षित सीट से विधायक चुने गए हैं. अनुप्रिया पटेल के अपना दल एस को इस बार मंत्रिमंडल में दो जगह मिल सकती है. कैबिनेट में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल को जगह मिलना तय माना जा रहा है. फतेहपुर की बिंदकी सीट से दूसरी बार विधायक बने जय कुमार जैकी को इस बार मंत्रिपरिषद में जगह मिलना मुश्किल है. ऐसे में बारा सीट से विधायक डा० वाचस्पति को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया जा सकता है.
डिप्टी सीएम का नाम क्यों है तय
पड़ोस के चित्रकूट जिले में बीजेपी का कोई विधायक नहीं बना है. सहयोगी दल ने एक सीट जरूर जीती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रयागराज और आसपास के पांच जिलों में से केशव प्रसाद मौर्य का एक बार फिर डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है. कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और नंद गोपाल गुप्ता की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है और साथ ही फतेहपुर की कृष्णा पासवान व प्रयागराज के पीयूष निषाद-वाचस्पति और गुरु प्रसाद मौर्य में से किसी एक या दो की लाटरी लग सकती है.
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