नई दिल्ली: आख़िरी समय में अखिलेश यादव ने मायावती और बीजेपी के रिश्ते में पेंच फंसा दिया. ऐसा लग रहा था कि राज्यसभा के लिए वोटिंग की नौबत नहीं आएगी. तस्वीर पूरी तरह साफ़ थी. बीजेपी से 8, समाजवादी पार्टी से 1 और बीएसपी से भी 1 नेता राज्यसभा पहुंच जायेंगे. वो भी बिना मतदान के. यूपी से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है. आज नामांकन का आख़िरी दिन था. सिर्फ़ 18 विधायकों वाली मायावती की पार्टी के लिए तो गुड न्यूज़ था. लेकिन आख़िरी समय में खेल ख़राब हो गया. प्रकाश बजाज ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर दिया. उन्हें समाजवादी पार्टी का समर्थन है.


यूपी में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प हो गया है. डर इस बात का है कि अखिलेश यादव कहीं मायावती का खेल न ख़राब कर दें. बीजेपी ने तो बीएसपी का काम आसान ही कर दिया था. पार्टी के आठों उम्मीदवार की जीत तय थी. राज्यसभा के एक सांसद के लिए 36 वोट चाहिए. बीजेपी के पास 306 तो अपने विधायक हैं. इस हिसाब से उसके पास 16 वोट बच गए थे. सहयोगी दल अपना दल के 9 विधायक हैं. इसे जोड़ कर बीजेपी के पास एडिशनल 25 वोट हुए. कांग्रेस और बीएसपी के भी कुछ बाग़ी नेताओं का वोट उसे मिल सकता था. फिर भी पार्टी ने नौवां उम्मीदवार नहीं दिया. ऐसे संकेत मिल रहे थे कि बीजेपी इस बार मायावती को गिफ़्ट देने के मूड में है.


बीजेपी और बीएसपी में कोई खिचड़ी पक रही है. इसीलिए तो मायावती की पार्टी भी राज्यसभा चुनाव में उतर गई. जबकि बीएसपी के पास बस 18 विधायक हैं. उनमें से भी दो तीन बीजेपी के संपर्क में हैं. लेकिन बहिन जी ने सबको चौंका दिया. बीएसपी से रामजी गौतम ने राज्यसभा के लिए पर्चा भर दिया. समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव पहले ही नामांकन कर चुके थे.


एसपी के पास 48 विधायक हैं. रामगोपाल के जीतने के बाद 12 वोट बच जाते हैं. बीजेपी की रणनीति थी कि चुनाव न हो. ऐसे में बीजेपी के 8, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के एक एक सांसद चुन लिए जायेंगे. लेकिन अखिलेश यादव के मन में कुछ और ही था. खबर है कि ओम प्रकाश राजभर का समर्थन भी उनके साथ है. राजभर की पार्टी के 4 विधायक हैं. कांग्रेस के 7 विधायकों का वोट भी उन्हें मिल सकता है. राज्यसभा चुनाव में ट्विस्ट आ गया है. मायावती और अखिलेश यादव में से किसी एक की जीत मुमकिन है.


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