Dussehra Meerut Ravana Effigies: कहने के लिए दशहरे का पर्व तो हिंदू धर्म के लोगों के लिए होता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक ऐसा मुस्लिम परिवार है जो पिछली चार पीढ़ियों से रावण के पुतले तैयार करने का काम करता आ रहा है. जो अपने आप में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है. ये परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी रावण का पुतला बनाने का काम कर रहा है.
आजादी के पहले से बना रहे रावण का पुतला
मेरठ के रहने वाले मोहम्मद असलम बताते हैं कि 43 साल पहले उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर मेरठ शहर के एक लोकप्रिय मैदान में एक सदी से भी अधिक समय से हर साल आयोजित होने वाले रामलीला उत्सव के समापन दिवस के लिए 'रावण' का 60 फुट का पुतला बनाया था. असलम ने बताया कि उनके पिता अब 64 वर्ष के हो चुके हैं. असलम का कहना है कि वे अपने पिता के व्यवसाय को संभाल रहे हैं, जिसकी नींव उनके दादा ने अविभाजित भारत के दौरान रखी थी.
पिता से सीखा पुतला बनाने का हुनर
असलम ने बताया कि उन्होंने यह कला अपने पिता से सीखी है. हमारा व्यवसाय 80 वर्ष से अधिक पुराना है. मुझे अभी भी याद है कि 1980 में, मेरा पहला ऑर्डर 1400 रुपये का था. आज मैं 'रावण' के 120 फुट के पुतले के लिए 1.2 लाख रुपये लेता हूं. असलम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय से होने के बावजूद, धर्म ने कभी मेरे काम में हस्तक्षेप नहीं किया और न ही मैंने कभी सोचा कि मैं दूसरे समुदाय के लिए काम कर रहा हूं. यह मेरी आजीविका है. मुझे एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है और मेरा काम निराश नहीं करना है.
118 वर्षों से एक साथ कर रहे काम
मेरठ के जिमखाना मैदान में वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन करने वाले समिति के अध्यक्ष मनोज ने बताया, "हम लगभग 118 वर्षों से दशहरे के दौरान कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. असलम और उनका परिवार हमारे साथ काम कर रहा है. असलम हर साल लगभग 120 फुट के 12 पुतले बनाते हैं, जिनमें रावण के भाई कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले भी शामिल हैं. उन्हें छोटे आकार के पुतलों के भी कई ऑर्डर मिलते हैं. उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह इस बार भी हमारा संदेश स्वच्छता और लोगों की सुरक्षा है.
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