Kanwar Yatra 2022: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के खकरा नदी किनारे मोहल्ला डालचंद में स्थित सैंकड़ो वर्ष प्राचीन शिव मंदिर गौरीशंकर बाबा के दरबार में हर वर्ष लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. वहीं इस बार कोरोना महामारी के बाद शुरू हुई कांवड़ यात्रा को लेकर यहां लाखों भक्तों के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. आज श्रावण मास का पहला दिन है तो यहां से आज कांवड़ियों का जत्था हरिद्वार कछला के लिए रवाना हुआ है. कांवड़ियों ने भोले नाथ की कांवड़ को सजाने के लिए दुकानों पर अबीर-गुलाल सहित भोलेनाथ की तस्वीर व ओम नमः शिवाय लिखे गमछे खरीदना शुरू कर दिए हैं.


आज शाम को पीलीभीत में कांवड़ियों का पहला जत्था गौरी शंकर बाबा के मंदिर में जलाभिषेक व रुद्राभिषेक करते नजर आएंगे. आपको बता दें इस प्राचीन भव्य मंदिर का निर्माण आज से 500 साल पहले किया गया था. यहां के रहने वाले बंजारों को एक शिवलिंग गौरीशंकर के रूप में एक साथ विराजमान मिले थे. जिसके बाद बंजारो ने इस शिवलिंग को स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा कराते हुए मंदिर का स्वरूप दे दिया. 18 वीं शताब्दी में बंजारों से जंग जीतकर पीलीभीत शहर को सरदार रूहेला सिंह ने बसाया था.


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चमत्कारिक रूप में होती है मनोकामना पूरी


सरदार ने दिल्ली की तर्ज पर जामा मस्जिद के साथ-साथ इस गौरी शंकर बाबा मंदिर प्रांगण के भव्य विशाल द्वार का निर्माण भी कराया था. उसके बाद से ही तमाम जिलों के श्रद्धालु यहां पर पहुंचकर गौरी शंकर रूप में विराजमान इस शिवलिंग की पूजा अर्चना कर रुद्राभिषेक करते हैं. आपको बताते चलें कि हर वर्ष सावन के सोमवार को यहां बड़ी संख्या में भक्तगण बाबा गौरी शंकर की भस्म आरती में शामिल होते है. साथ ही श्री राम नामी बेलपत्र के साथ पूजन अर्चन कर बाबा गौरी शंकर का रुद्राभिषेक करते हैं. जिसके बाद उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि गौरीशंकर रूप में विराजमान शिवलिंग भक्तों की चमत्कारिक रूप में मनोकामना पूरा करते हैं.


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