Shivpal Singh Yadav Angry to Akhilesh Yadav: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav)  अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से काफी नाराज चल रह हैं. चाचा-भतीजे की नाराजगी अब जगजाहिर हो चुकी है. दरअसल शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि समाजवादी पार्टी में लगातार उनकी उपेक्षा हो रही है. शिवपाल ये भी कहते हैं कि अगर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश सबको साथ लेकर चलते तो 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आसानी से सत्ता से हटाया जा सकता है लेकिन ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि.’


क्यों नाराज हैं अखिलेश से शिवपाल यादव


दरअसल दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में शिवपाल सिंह ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से अपनी नाराजगी के कारण बताए. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव 2022 से पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी और फिर सपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा. सपा के 111 विधायकों में से एक होने के बाद भी उन्हें सपा विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाया गया. वहीं अखिलेश से जब इस बाबत पूछा तो उन्होंने गठबंधन के दलों के साथ बैठक में बुलाने की बात कह दी.


शिवपाल यादव ने कहा कि उनका सपा के साथ कोई गठबंधन नहीं हुआ था,उन्होंने सिर्फ सपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा था. शिवपाल ने तंज कसते हुए कहा कि अगर अखिलेश उन्हें गठबंधन में मानते थे तो फिर चुनाव से पहले हुई गठबंधनों की बैठकों में क्यों नहीं बुलाया गया.


विपक्ष के नेताओं में मेरी सबसे बड़ी जीत हुई लेकिन बदले में मिली उपेक्षा- शिवपाल सिंह


शिवपाल यादव आगे कहते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले रथयात्रा निकालकर वे प्रदेश के सभी जिलों में गए थे. कार्यकर्ताओं की चाह थी कि सपा-प्रसपा का मिलन हो जाए. अखिलेश को भी नेता मान लिया था. लेकिन सपा में मुलायम सिंह यादव और आजम खान के बाद सबसे वरिष्ठ नेता वे ही थे लेकिन उनका उपयोग चुनाव में नहीं किया गया. उन्हें स्टार प्रचारकों में भी शामिल नहीं किया गया. पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. शिवपाल दुखी मन से कहते है कि विपक्ष के नेताओं में उनकी सबसे बड़ी जीत हुई बावजूद इसके उनकी उपेक्षा हो रही है.


सपा में अपमान के सिवाय कुछ नहीं मिला- शिवपाल सिंह


शिवपाल आगे कहते हैं कि सपा में रहते हुए उन्हें अपमान के सिवाय कुछ नहीं मिला. वे कहते हैं कि अगर अखिलेश चुनाव में उनका और उनकी पार्टी के नेताओं व संगठन का इस्तेमाल करते तो आज सत्ता में होते. उल्टा अखिलेश ने उनके समर्थक नेताओं का अपमान किया. शिवपाल कहते हैं कि विधानसभा चतुनाव 2022 में बीजेपी को हटाने का अच्छा मौका था लेकिन अखिलेश का बाल ‘ विनाश काले विपरीत बुद्धि जैसा हो गया है.


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