UP News: उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई बार सवाल खड़े होते हैं. इसकी वजह जानने के लिए ABP न्यूज ने मुरादाबाद के जिला अस्पताल का रिएलिटी चेक किया तो पता चला कि इस अस्पताल में हर रोज ओपीडी में 1500 से 2 हजार मरीज आते हैं लेकिन जिस अस्पताल में 42 डॉक्टर होने चाहिए उसमे सिर्फ 26 डॉक्टर ही मौजूद हैं. साथ ही उसमे भी न कोई दिल का डॉक्टर है, न कोई दिमाग का. ऐसे में दिल और दिमाग के मरीजों को यहां से हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का आलम ये है कि पिछले महीने नवंबर में एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर मोर्चरी में रखवा दिया गया था, वहीं जब परिवार वालों ने शिकायत की और उसका वीडियो बना कर वायरल किया तो उसका दोबारा से इलाज शुरू हो सका था.


अस्पताल में है समस्याओं का अंबार


जानकारी के अनुसार अस्पताल में रोज ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी लाइने लगी रहती हैं. यहां पर आये मरीजों ने बताया कि उन्हें अस्पताल से दवाई भी आधी अधूरी मिलती है, बाकि की दवाई उन्हें बाजार से खरीदनी पड़ती है. लोगों ने यह भी बताया कि मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर के इंतजार में घंटों भटकना पड़ता है, दिल, दिमाग और गुर्दे के तो डॉक्टर ही अस्पताल में मौजूद नहीं है, तो ऐसे में गंभीर मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है. जानकारी के अनुसार अस्पताल में ईएमआईआर की भी सुविधा नहीं है. वहीं अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन और एक्सरे की सुविधा उपलब्ध है. आक्सीजन प्लांट तो लग गया है लेकिन अभी उसमे भी कुछ समस्याओं के चलते ऑक्सीजन की पाइप लाइन पूरी तरह से चालू नहीं हो पाई है. 


इस पूरे मामले पर सीएमएस का कहना है कि अस्पताल में जल्द ही 80 ऑक्सीजन बेड तैयार हो जायेंगे जिसकी तैयारी चल रही है. अधिकारियों के दावों के बीच मरीजों की बात जानने पर साफ पता चलता है कि यूपी स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में देश भर के राज्यों में सबसे पिछड़ा हुआ क्यों है. हाल ही में आए आंकड़ों के मुताबिक बिहार और बंगाल जैसे राज्य यूपी से स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में आगे हैं.


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