लखनऊ: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के सबसे बड़े पावर सेंटर में बैठकर फर्जी ठेके को दिलाने में करोड़ों की कमीशन खोरी से चर्चा में आए 2 आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर गई है. सीएम योगी ने पशुधन घोटाले से चर्चा में आए डीआईजी स्तर के दो अधिकारी दिनेश चंद दुबे और अरविंद सिंह को सस्पेंड कर दिया है. हालांकि डीसी दुबे के सस्पेंशन के पीछे पशुधन घोटाले के बजाय तमाम सरकारी विभागों में ठेका दिलाने की कमीशन खोरी की शिकायत वजह बनी है.


बीते जून महीने में पशुधन घोटाला उजागर हुआ तो मास्टरमाइंड आशीष राय, एके राजीव समेत  तमाम लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गई. पूछताछ की गई  तो आजमगढ़  में तैनाती से शुरू हुए आईपीएस दिनेश चंद दुबे और अरविंद सेन  के आशीष राय से रिश्ते जांच के दायरे में आ गए.


हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई गई इंदौर के व्यापारी मनजीत सिंह की एफआईआर में आरोप लगाए गए कि उसे जालसाजों ने सीबीसीआईडी के दफ्तर ले जाकर धमकाया गया और जिसमें एसपी सीबीसीआईडी तक शामिल थे.


जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने इस पूरे घोटाले में डीआईजी पीएसी सेक्टर अरविंद सेन की भूमिका पर रिपोर्ट शासन को भी सौंप दी.  292 करोड़ के ठेके को दिलाने की एवज में 9 करोड़ 72 लाख का कमीशन इंदौर के व्यापारी मनजीत सिंह से मंत्री का ओएसडी, निजी सचिव, समीक्षा अधिकारी बनकर वसूले गए थे. जिसमें अब तक लखनऊ पुलिस और यूपी एसटीएफ 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.


तो वहीं सस्पेंड किए गए दूसरे अधिकारी दिनेश चंद दुबे हैं. डीआईजी रूल्स एंड मैन्युअल दिनेश चंद दुबे का भी नाम पशुधन घोटाले के मास्टरमाइंड आशीष राय के साथ आया था. लेकिन सोमवार को गृह विभाग ने दिनेश चंद दुबे को निर्माण एजेंसी यूपी सिडको समेत अन्य विभागों में करोड़ो का ठेका दिलाने में कमीशनखोरी पर सस्पेंड किया है.


बताया जा रहा है कि दिनेश चंद दुबे रायबरेली हरदोई समेत कई जिलों में बन रहे कस्तूरबा हॉस्टल के ठेके को दिलवा रहे थे. इतना ही नही कौशांबी और बरेली में बस स्टेशन निर्माण का ठेका और लखनऊ में दिव्यांगों की बिल्डिंग बनवाने का ठेका दिलाने के गोरखधंधे में भी दिनेश चंद्र दुबे के शामिल होने की शासन को शिकायतें मिलीं जिसके बाद उनपर यह कार्रवाई की गई.


स्टेट कैडर से आईपीएस बने इन दोनों पुलिस अधिकारियों के सस्पेंशन के साथ ही उत्तर प्रदेश में अब 5 आईपीएस अधिकारी सस्पेंड हो गए हैं. जिनमें में वैभव कृष्ण, अपर्णा गुप्ता और एडीजी जसवीर सिंह के नाम भी शामिल हैं.


यह था पशुधन घोटाला

इंदौर के रहने वाले मंजीत सिंह के साथ पशुधन विभाग में करोड़ों रुपए का बड़ा टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी हो गई. 9 करोड़ 72 लाख रुपए की हुई इस ठगी की शिकायत शासन को पहुंची. शासन ने जांच एसटीएफ को दी और पीड़ित के दिए गए सुबूत और बताई गई कहानी के आधार पर आनन-फानन में हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.


गिरफ्तार हुए आरोपियों में पशुधन राज्य मंत्री का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, प्राइवेट सचिव धीरज कुमार देव के साथ-साथ जालसाज आशीष राय, अनिल राय, रूपक राय भी शामिल थे. पूछताछ की गई तो ठगी और जालसाजओ के एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा हुआ कि सभी अचरज में पड़ गए.


इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड आशीष राय निकला. आशीष राय विधानसभा में डिप्टी डायरेक्टर पशुपालन एस के मित्तल बनकर पीड़ित व्यापारी मनजीत से मिला था. जिस विधानसभा के अंदर बिना परमिशन बिना पास के प्रवेश मुश्किल होता है वहां आशीष राय एसके मित्तल बनकर  एक आलीशान एसी कमरे में बैठकर ठगी कर रहा था.


आशीष के ठगी के धंधे में पशुधन विकास राज्यमंत्री का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, प्राइवेट सचिव धीरज देव, सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश मिश्रा, पशुधन विभाग का ड्राइवर विजय कुमार तक शामिल थे. सभी की मिलीभगत का नतीजा था कि व्यापारी मनजीत को पशुधन विभाग का फर्जी वर्क आर्डर थमाया गया वह भी विधानसभा के उसी कमरे में. और जब-जब मनजीत एसके मित्तल बने आशीष राय से मिलने गया तो उसको बिना रोक-टोक, बिना जांच के, कभी मंत्री की गाड़ी से तो कभी मंत्री के होमगार्ड के जरिए अंदर बुला लिया गया.


यानी ऊपर से नीचे तक पशुधन विभाग में पूरा खेल चल रहा था. मंत्री जी की गाड़ी से लेकर मंत्री जी का निजी सचिव तक इस खेल में शामिल था. मंत्री जी के दफ्तर में ठगी हो रही थी और किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगी.


यूपी एसटीएफ और लखनऊ पुलिस इस पूरे मामले में मास्टरमाइंड आशीष राय, प्रधान निजी सचिव राजेश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार,कथित पत्रकार एके राजीव के साथ अनिल राय रूपक राय और उमा शंकर तिवारी समेत 9 लोगों को अब तक गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. फिलहाल इस मामले की जांच एसीपी गोमती नगर के द्वारा की जा रही है.


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