लखनऊ, एबीपी गंगा। 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में चले लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के रुझान सामने आ गये हैं।  उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर अबतक मिले रुझान के मुताबिक भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। गठबंधन जातिगत समीकरण को दरकिनार करते हुए 59 सीटों पर आगे है। कांग्रेस एक सीट पर वहीं गठबंधन 18 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है। हालांकि ये अभी अंतिम परिणाम नहीं हैं। इससे पहले  2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने अपने सहयोगी पार्टी अपना दल के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले राजनीतिक पंडित मान रहे थे कि इस बार की चुनाव की तस्वीर 2014 से बेहद अलग रहेगी, क्योंकि 2019 में भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने हाथ मिला लिया। वहीं, सियासी जमीन की तलाश में जुटी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद चिंताजनक है।


पिछले राजनीतिक स्कोरकार्ड को क्या पलटेगा उत्तर प्रदेश?
इस बीच सवाल ये है कि क्या 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम के राजनीतिक स्कोरकार्ड को उत्तर प्रदेश पटेगा। ये सवाल इसलिए, क्योंकि तकरीबन सभी एग्जिट पोल के नतीजों में यही कहा गया कि केंद्र में तो पूर्ण बहुमत से एनडीए सरकार बनाएगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसे भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। हालांकि, आज परिणाम सामने होने के साथ ये भी स्पष्ट हो जाएगा कि एग्जिट पोल के नतीजे कितने सच साबित हुए।


क्या गठबंधन बिगाड़ेगा खेल?
2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 3,43,18,854 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी को मिलाकर 3,39,03,161 वोट मिले थे। वहीं, अजील सिंह की राष्ट्रीय लोक दल भी एकजुट विपक्ष में शामिल है, जिसे पिछली बार महज 6,89,409 वोट मिले थे। हालांकि, इस बार सपा-बसपा और आरएलडी के बीच गठबंधन है। ऐसे में वोट शेयर के मामले में यूपी की लड़ाई बेहद दिलचस्प रहेगी।


कौन कितनी सीट पर लड़ा चुनाव रहा
बीजेपी इस बार भी उत्तर प्रदेश की 2 सीटें अपनी सहयोगी अपना दल को दी है, जबकि अन्य सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, गठबंधन में  सपा- 37, बसपा- 38, आरएलडी ने 03 सीटों पर चुनाव लड़ा। वहीं, दो सीटों अमेठी और रायबेली से गठबंधन ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा।


2014 का परिणाम




  • 2014 में बीजेपी को 71 सीटें मिली थीं और उसकी सहयोगी अपना दल ने 2 सीटें पर जीत दर्ज की थी।

  • समाजवादी पार्टी सिर्फ पांच सीटें जीत सकी थी।

  • बीएसपी और आरएलडी तो खाता तक नहीं खोल पाई थीं।

  • कांग्रेस को केवल दो सीटें (अमेठी, रायबरेली) ही सीटों से संतोष करना पड़ा था।

  • सीपीआई और सीपीआई(एम) को भी एक भी सीट नहीं मिली।