जानिए उत्तर प्रदेश के वो VVIP चेहरे, जिनकी किस्मत का फैसला होगा आज
VIP Seats Election Results: नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव समेत जानिए वो कौन से यूपी के वीवीआईपी उम्मीदवार हैं, जिनका किस्मत का फैसला आज होगा। 23 मई यानी आज 17वीं लोकसभा की रूपरेखा साफ हो जाएगी।
लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव 2019 का विजेता कौन होगा, इसके फैसले की घड़ी आ गई है। एग्जिट पोल के नतीजों पर यकीन किया जाए, तो दिल्ली की कुर्सी पर एक बार फिर से बीजेपी नीत एनडीए पूर्ण बहुमत के साथ विराजमान हो रही है। हालांकि, आज नतीजों का वक्त आ गया है। जिससे ये तस्वीर साफ हो जाएगी कि आखिरकार जनता ने किस पर भरोसा जताया है। अगर ये कहा जाए कि देश की राजनीति की कोई भी चर्चा बिना उत्तर प्रदेश का नाम लिए अधूरी है, तो ये हैरानी की बात नहीं होगी। यूपी अबतक देश को 9 प्रधानमंत्री दे चुका है और इस बार भी देश का निवर्तमान प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित लोकसभा सीट वाराणसी से चुनावी रण में है। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा यहीं है कि देश का अगला प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से निकलेगा।
नरेंद्र मोदी समेत उत्तर प्रदेश के सभी बड़े और वीवीआईपी चेहरों समेत सभी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला जनता ने क्या लिया? 23 मई...वो तारीफ भी आ गई, जो देश की 17वीं लोकसभा की रूपरेखा तय करेगी। इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश के वो नामचीन सियासी चेहरों, जो इस बार चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखाते दिखे।
उत्तर प्रदेश के VVIP चेहरे
नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वीवीआईपी उम्मीदवार की बात की जाए, तो पहले सबसे नाम निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आता है। मोदी वाराणसी से मौजूदा सांसद हैं और इस बार फिर से वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। एबीपी गंगा के एग्जिट पोल के मुताबिक, वाराणसी से मोदी 2019 में भी जीत रहे हैं। इस बार मोदी के खिलाफ मैदान में कांग्रेस ने फिर से अजय राय को उतारा, जबकि गठबंधन की ओर से शालिनी यादव पर दांव चला है। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में यहां से चुनाव मैदान में उतरे कुल 42 में से 40 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 2014 में मोदी ने पांच लाख 81 हजार 22 मत पाकर हासिल कर विजय प्राप्त की थी। दो लाख 92 हजार 238 मतों के साथ आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर रहे थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को केवल 75 हजार 614 मत मिले थे।
राजनाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के निवर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक बार फिर से लखनऊ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही लखनऊ को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। 2014 में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रो.रीता बहुगुणा जोशी (वर्तमान में योगी सरकार में मंत्री) को भारी मतों से इस सीट से हराया था। राजनाथ सिंह ने 5,61,106 वोट हासिल कर जीत का स्वाद चखा था, जबकि रीता बहुगुणा जोशी 2,88,357 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं थीं। इस बार कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम और गठबंधन ने पूनम सिन्हा को राजनाथ सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा। इस सीट पर कौन बाजी मारेगा, ये तो आज स्पष्ट हो जाएगा। हालांकि, एबीपी गंगा के एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, एक बार फिर से राजनाथ सिंह ये सीट जीत रहे हैं।
सोनिया गांधी यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस के गढ़ रायबरेली से चुनावी मैदान में हैं। आजादी के बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। सोनिया गांधी ने यहां से लगातार तीन बार से सांसद हैं। साल 2014 में मोदी लहर में भी उन्होंने शानदार जीत दर्ज की थी। इस बार फिर वो मैदान में हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ दिनेश सिंह को उतारा है। एग्जिट पोल के मुताबिक, सोनिया एक बार फिर अपनी सीट को बचाए रखने में कामयाब रहेंगी। हालांकि, फाइनल नतीजों का इंतजार है।
राहुल गांधी गांधी परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि अमेठी लोकसभा सीट से एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी रण में हैं। राहुल लगातार तीन बार से इस सीट से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी 408,651 मतों के साथ विजयी रहे थे, जबकि बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 300,74 मत हासिल कर दूसरे नंबर पर रहीं थी। इस तरह जीत का अंतर 1,07,000 वोटों का ही रहा, जबकि 2009 में कांग्रेस अध्यक्ष की जीत का अंतर 3,50,000 से भी ज्यादा का रहा था। इस बार फिर स्मृति राहुल के टक्कर देने उतरी हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बना रहेगा।
स्मृति ईरानी बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। 2014 में भी वे राहुल के खिलाफ मैदान में थीं, हालांकि वो जीत नहीं सकीं थी। इस बार अमेठी की तस्वीर क्या होगा, ये आज साफ हो जाएगा। क्या स्मृति इतिहास रचेंगी या राहुल गांधी का जादू बरकरार रहेगा, ये चुनावी परिणाम से स्पष्ट हो जाएगा।
अखिलेश यादव इस बार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता की संसदीय सीट आजमगढ़ से चुनाव लड़ा। वर्तमान में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव सांसद हैं। साल 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने यहां भाजपा के बाहुबली उम्मीदवार रमाकांत यादव, बीएसपी के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली और कॉग्रेंस के उम्मीदवार अरविंद कुमार जायसवाल को भारी मतों से हराया था। इस बार अखिलेश के खिलाफ बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता दिनेश यादव निरहुआ को मैदान में उतारा। बता दें कि 13वीं, 14वीं व 15वीं लोकसभा में अखिलेश यादव कन्नौज सीट जीतकर संसद की दहलीज पर पहुंचे थे। अखिलेश यादव 2009 में फिरोजाबाद से चुनाव जीतकर सांसद बने। 2012 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, जिसके बाद उन्होंने कन्नौज सीट खाली कर दी। यहां से सपा ने उनकी पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा और उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की।
डिंपल यादल अखिलेश यादव की पत्नी और सपा नेता डिंपल यादल कन्नौज से सांसद हैं और इस बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ा है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद सपा ने अपनी ये सीट बचाए रखी। बता दें कि डिंपल यादव तीसरी बार कन्नौज से चुनाव लड़ रही हैं। डिंपल को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है। 2014 में डिंपल यादव ने 4,89,164 वोट हासिल की जीत दर्ज की थी, दूसरे नंबर पर बीजेपी के सुब्रत पाठक (4,69,257 वोट) रहे थे, जबकि तीसरे स्थान पर बीएसपी के निर्मल तिवारी (1,27,785 वोट) पर थे। 2019 में सपा और बसपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा है।
मुलायम सिंह यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव कन्नौज लोकसभा सीट से मैदान में हैं। मुलायम के खिलाफ बीजेपी ने इस बार प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा। एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार, इस बार मैनपुरी सीट पर बीजेपी सपा को कड़ी टक्कर दे रही है। बता दें कि 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों सीटों से चुनाव लड़े और जीते थे। हालांकि, बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी, बाद में उपचुनाव हुए तो मुलायम परिवार के ही तेज प्रताप यादव सांसद बने।
अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश के वीवीआईपी उम्मीदवारों में अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल का नाम भी शामिल है। 2014 में पहली बार मिर्जापुर सीट से जीतकर संसद पहुंचने वाली अनुप्रिया पटेल बाद में जून, 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री भी बनीं। इस बार भी अनुप्रिया पटेल बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल पटेल) से यहां से उम्मीदवार हैं। उनको चुनौती देने के लिए सपा-बसपा गठबंधन ने राम चरित्र निषाद चुनावी मैदान में उतारा। 2014 में अनुप्रिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीएसपी के समुद्र को 2,19,079 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे और सपा चौथे स्थान पर रही थी।
हेमा मालिनी यूपी की वीवीआईपी उम्मीदवार हेमा मालिनी ने 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था। हालांकि, बीते लंबे वक्त से वो राजनीति में एक्टिव थीं। हेमा मुथरा से सिटिंग एमपी हैं और इस बार भी यहीं से लोकसभा चुनाव लड़ा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां हेमा मालिनी को करीब 53 % वोट मिले थे। रालोद का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर अजित चौधरी के बेटे जयंत को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में इस सीट पर 64 % मतदान हुआ था, इनमें से मात्र 2000 वोट ही NOTA में डाले गए थे। बीजेपी की जीत इतनी बड़ी थी कि उसे मिली वोटों की गिनती बसपा-सपा को मिले वोट से भी ज्यादा थी। 1999 में उन्होंने पहली बार बीजेपी के लिए प्रचार किया था, जबकि 2004 में आधिकारिक तौर पर पार्टी ज्वाइन की। लोकसभा सांसद चुने जाने से पहले हेमा मालिनी राज्यसभा की भी सांसद रह चुकी हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, इस बार फिर बीजेपी की उम्मीदवार का मथुरा से जीतना तय है।
रवि किशन गोरखपुर लोकसभा सीट को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ के यूपी की सीएम बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के हाथ से ये सीट छूट गई। जिसके बाद इस बार बीजेपी ने भोजपुरी फिल्मों के मशहूर कलाकार रवि किशन पर दांव चला, वहीं महागठबंधन की ओर से सपा ने भी अपने पुराने समीकरण को साधने के लिए निषाद समुदाय से रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया। रवि किशन की जीत सुनिश्चित करने के लिए खुद मुख्यमंत्री उनके लिए जोर-शोर से प्रचार करते दिखे थे। हालांकि, इनकी ये मेहनत कितनी रंग लाई है, ये चुनाव नतीजे बताएंगे।
जया प्रदा रामपुर लोकसभा सीट से जया प्रदा बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा। एग्जिट पोल के मुताबिक, जया प्रदा यहां से हार रही हैं। हालांकि, फाइनल रिजल्ट क्या होगा...वो आज स्पष्ट हो जाएगा।
आजम खान आजम खान भी यूपी की वीवीआईपी कैंडिडेट की लिस्ट में शामिल हैं। रामपुर लोकसभा सीट पर गठबंधन और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। यहां पर जयाप्रदा(भाजपा) और आजम खान (सपा) के बीच दिलचस्प जंग है।
शिवपाल यादव कभी समाजवादी पार्टी की अहम अंग माने जाने वाले शिवपाल यादव पहली बार सपा से अलग होकर चुनाव लड़े। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाकर शिवपाल अखिलेश को चुनौती देने मैदान में उतरे। फिरोजाबाद सीट से शिवपाल यादव अपने भतीजे और रामगोपाल वर्मा के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ ताल ठोंक है।
संतोष गंगवार बरेली लोकसभा सीट से संतोष गंगवार एक बार फिर मैदान में हैं। गंगवार पहली बार 1989 के लोकसभा चुनाव को जीतकर संसद पहुंचे थे। वे इस सीट से सात बार चुनाव जीत चुके हैं, जिसमें छह बार तो लगातार उन्होंने जीत का स्वाद चखा। 2009 के चुनाव में गंगवार को झटका लगा, कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन ने उन्हें शिकस्त दी। 2014 में उन्होंने दोबारा खुद को साबित किया और जीत का सेहरा पहना। महागठबंधन की ओर से सपा के टिकट पर संतोष गंगवार के ही जाति के उम्मीदवार भगवत शरण गंगवार चुनावी मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने प्रवीण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। एग्जिट पोल की मानें, बरेली से भाजपा के संतोष गंगवार जीत रहे हैं। भगवत शरण गंगवार गठबंधन के उम्मीदवार हार रहे हैं। बहरहाल, फाइनल नतीजा आना अभा बाकी है।
मेनका गांधी यूपी की वीवीआईपी उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस बार सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। वर्तमान में उनके बेटे व बीजेपी नेता वरुण गांधी यहां से सांसद हैं। एग्जिट पोल की मानें तो सुल्तानपुर में मेनका गांधी जीत रही हैं। गठबंधन के चंद्रभद्र सिंह हार रहे हैं।
वरुण गांधी बीजेपी नेता वरुण गांधी ने इस बार अपनी मां मेनका गांधी की विरासत सीट पीलीभीत से चुनाव लड़ा। 2014 में वरुण ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। इस बार कहा जा रहा है कि पीलीभीत से भाजपा के वरुण गांधी जीत रहे हैं, जबकि गठबंधन उम्मीदवार हेमराज वर्मा हार रहे हैं। हालांकि, फाइनल नतीजों का इंतजार है। बता दें कि वरुण के सियासी सफर की शुरुआत पीलीभीत से ही हुई थी। 2009 में वरुण ने अपनी मां की विरासत सीट पीलीभीत से रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी।
अजीत चौधरी आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह की भी किस्मत का फैसला आज हो जाएगा। हालांकि, एबीपी गंगा के एग्जिट पोल के मुताबिक, मुजफ्फरनगर सीट से आरएलडी के अजीत सिंह जीत सकते हैं। अजित सिंह का मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद संजीव बालियान से है। बता दें कि अजीत सिंह ने 2014 का लोकसभा चुनाव बागपत से लड़ा था, लेकिन वो हार गए थे।
जयंत चौधरी अजीत सिंह के बेटे और आरएलडी नेता जयंत चौधरी भी वीवीआईपी उम्मीदवारों की लिस्ट में हैं। इस बार जयंत चौधरी ने महागठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। एग्जिट पोल के नतीजों की मानें, तो जयंत चौधरी ये सीट जीत रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला मौजूदा सांसद व बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चौधरी मोहकम से है।
वीके सिंह वीवीआईपी उम्मीदवार व मौजूदा केंद्रीय मंत्री वीके सिंह इस बार फिर से गाजियाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी है। उनका मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी सुरेश बंसल और कांग्रेस उम्मीदवार डॉली शर्मा से है। सिंह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से भारी मतों से जीते थे.
महेश शर्मा केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा इस बार भी गौतम बुद्ध नगर से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। डॉक्टर महेश शर्मा के सामने लगातार दूसरी बार इस सीट से संसद पहुंचने की चुनौती है। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने डॉ अरविंद सिंह को उतारा है जबकि महागठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सत्यवीर नागर मैदान में है।
मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश की गाजीपुर की लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा मैदान में हैं। एबीपी-नील्सन के एग्जिट पोल के मुताबिक गाजीपुर से अफजाल अंसारी से वे हार रहे हैं। बता दें कि सिन्हा केंद्र में रेल राज्य मंत्री हैं, ऐसे में उनके लिए ये सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है।
धर्मेंद्र यादव मुलायम सिंह यादव के भतीजे और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव बदायूं लोकसभा सीट से सांसद हैं। इस बार फिर उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा। 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी बदायूं में कमल खिलाने में नाकामयाब रही थी और धर्मेंद्र यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी। वे तीन बार से लगातार सपा के सांसद हैं। इस बार देखना होगा कौन इस सीट से बाजी मारता है। हालांकि, एग्जिट पोल कहता है कि बदायूं से गठबंधन उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव जीत रहे हैं। बीजेपी की संघमित्रा मौर्य हार रही हैं।
सत्यदेव पचौरी यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी भी वीआईपी उम्मीदवारों में शामिल है। इस बार बीजेपी ने कानपुर के मौजूदा सांसद मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटकर सत्यदेव पचौरी को अपना उम्मीदवार बनाया। पचौरी जेपी आंदोलन का भी हिस्सा रहे। जनसंघ और बीजेपी संगठन में अहम जिम्मेदारियां निभाईं और 1991 में विधानसभा चुनाव में आर्यनगर सीट से पहला चुनाव लड़ा और जीता। हालांकि इसके बाद 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर पार्टी ने 2004 में कानपुर संसदीय सीट से उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया, जिसमें वे महज कुछ वोटों के अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल से हार गए। इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव ने पचौरी को गोविंदनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया और वो जीते। 2017 के चुनाव में भी उन्होंने गोविंदनगर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। वर्तमान में वे योगी सरकार में लघु उद्योग मंत्री हैं। 2019 में भाजपा ने फिर उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर दिया है और कानपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है।
राज बब्बर कांग्रेस नेता और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की किस्मत का फैसला भी आज हो जाएगा। राज बब्बर फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। राज बब्बर पहले भी फतेहपुर सीकरी से चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़े थे, हालांकि बीएसपी के प्रत्याशी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में राज बब्बर गाजियाबाद से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी वीके सिंह की चुनावी चाल के आगे वो टिक नहीं सके। वो लगभग एक लाख 91 हजार वोट हासिल कर सके थे।
साक्षी महाराज बीजेपी ने निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज इस बार भी उन्नाव लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस बार भी उनकी जीत तय मानी जा रही है। हालांकि, फाइनल नतीजों का सभी को इंतजार है। 2014 में इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार साक्षी महाराज ने सपा के अरुण शुक्ला को करीब 3 लाख मतों से मात देकर जीत हासिल की थी।
दिनेश लाल यादव निरहुआ बीजेपी ने भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को आजमगढ़ से अखिलेश यादव के खिलाफ मैदान में उतारा है। हालांकि, अखिलेश की जीत की संभावना काफी ज्यादा जताई जा रही है।