UP Election 2022: जाटलैंट पर कब्जे की जंग में हो रहे हैं वार पलटवार, आज भी पश्चिमी यूपी की 136 सीटों पर दम दिखाने जुटेगी नेताओं की फौज
सहारनपुर की सभा में गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि यूपी में माफिया अब केवल तीन जगह ही बचे हैं, या तो जेल में हैं या यूपी के बाहर हैं या फिर अखिलेश की प्रत्याशियों की सूची में हैं.
UP Election: पश्चिमी यूपी के चुनाव प्रचार में बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों की तरफ के सब दिग्गज मैदान में हैं. लेकिन शनिवार को दोनों खेमों में बड़ी भिड़ंत हुई. बयानबाजी के जरिए एक दूसरे पर खूब तीखे वार किए गए, फिर चुन-चुनककर उसका पलटवार भी हुआ. एक तरफ अमित शाह, नड्डा, योगी, तमाम केंद्रीय मंत्रियों के सहारे बीजेपी का धुआंधार प्रचार चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव का खेमा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी के एक-एक हमले का जवाब दे रहा है. अखिलेश और जयंत की जोड़ी ने दो दिनों में पश्चिमी यूपी के चार शहरों में चार प्रेंस कॉन्फ्रेंस की हैं.
गृह मंत्री ने माफियाओं के लिए बताई तीन जगह
सहारनपुर की सभा में अमित शाह ने बताया कि माफिया अब केवल तीन जगह ही बचे हैं, या तो जेल में हैं या यूपी के बाहर हैं या फिर अखिलेश की प्रत्याशियों की सूची में हैं. गृह मंत्री के इस आरोप का अखिलेश यादव ने भी गाजियाबाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आंकड़े के साथ जवाब दिया. अखिलेश ने कहा कि 82 लोग ऐसे हैं जिनपर अपराधिक मुकदमें हैं उन्हे बीजेपी ने टिकट दिया. हमारी लिस्ट देख लिजिए, एक आध भले ही गलती से दे दिया हो. अब तक भाजपा ने जो लिस्ट जारी किया है उसमें कितने दागी नेता हैं, हमारी लिस्ट में कितने है, एक दो गलती से आ गया होगा जिस पर गलत मामले दर्ज किए गए होंगे.''
जंयत चौधरी पर डोरे डालने की कोशिश में है बीजेपी
जयंत के चवन्नी वाले चर्चित बयान के बावजूद बीजेपी जयंत पर डोरे डालने की कोशिश में लगी है. एक बार फिर अमित शाह ने जयंत चौधरी के सियासी भविष्य को लेकर फिक्र जताया तो जयंत ने फिर टका सा जवाब देकर बीजेपी की सुनने से इनकार कर दिया.
पश्चिमी यूपी में दोनों ही खेमों का पूरा जोर जाट वोटरों को साधने पर है, जिसमें किसानों की भी बड़ी तादाद है. किसान आंदोलन और जयंत के बूते इस बार अखिलेश को पश्चिमी यूपी से बड़ी उम्मीद जगी है. यही वजह है कि वो बार-बार किसानों के मुद्दे की बात कर रहे हैं. किसानों के सवाल पर बीजेपी को बहस की चुनौती भी दे रहे हैं. शायद बीजेपी मुद्दे को डायवर्ट करने में अपनी भलाई समझ रही है. जिस 2013 दंगों की वजह से बीजेपी को 2017 के चुनाव में बड़ा फायदा मिला था. उस दंगे का जिक्र, कब्रिस्तान का जिक्र अखिलेश को घेरने के लिए किया जा रहा है.
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