उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने 27 मई को एक फैसला लिया था जिसे महिला सुरक्षा के हित में बताया गया. इस फैसले के तहत किसी भी वर्किंग महिला से बिना उसकी लिखित अनुमति के, सुबह 6 बजे से पहले और शाम में 7 बजे के बाद यानी नाइट शिफ्ट करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. अगर महिला कर्मचारी नाइट शिफ्ट में काम करती है तो उसकी सुरक्षा और खाने पीने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. इसमें उल्लंघन करने पर कंपनी के खिलाफ जुर्माना होगा. इसे श्रम कानून का उल्लंघन माना जाएगा.


प्राइवेट सेक्टर की महिलाओं को होगा फायदा
महिलाओं के लिए एक एनजीओ चलाने वाली नीलिमा त्यागी बताती हैं कि यह फैसला बहुत अच्छा है. इसकी वजह से जो महिलाएं फिलहाल प्राइवेट सेक्टर्स में काम कर रही हैं उन्हें फायदा होगा क्योंकि इन सेक्टरों में महिलाओं को नाइट शिफ्ट के लिए सुविधा नहीं दी जाती है लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद महिलाओं को घर छोड़ने की जिम्मेदारी संस्था को दे दी गई है. ऐसे में जो महिलाएं नाइट क्लब या बार रेस्टोरेंट वगैरह में काम करती हैं वे सुरक्षित रहेंगी.


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सुरक्षा के साथ जरूरी है रोजगार
गाजियाबाद की रहने वाली श्रृष्टि जो कि पिछले 12 सालों से एक कॉल सेंटर में काम कर रही हैं इस फैसले का स्वागत करती हैं. कॉल सेंटर में काम करने वाली श्रृष्टि ने बताया कि यह फैसला काफी अच्छा है क्योंकि इसकी वजह से कंपनियां महिला कर्मचारियों को बाध्य नहीं करेंगी लेकिन महिलाओं के लिए रोजगार भी जरूरी है. उन्होंने बताया जिस सेक्टर में वो काम कर रही हैं वहां महिलाओं के लिए काफी चुनौती है, पहले परिवार देखना फिर नौकरी करना. ऐसे में अगर इस फैसले से कंपनियों ने महिलाओं को नौकरी देना कम कर दिया तो काफी महिलाओं पर असर पड़ेगा.


महिलाएं खुद करेंगी अपना फैसला
वहीं नोएडा में रहने वाली सबा बताती हैं कि, यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है. इसके जरिए महिलाओं को उनके फैसले लेने का हक दिया गया है. अगर वो चाहें तो नाइट शिफ्ट में काम करें और अगर उनका मन नहीं है तो वे बाध्य नहीं हैं.


क्या कहता है नया नियम
बता दें कि, सरकार ने यह नियम महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया है. यह आदेश अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चन्द्रा ने लागू किए हैं जिसमें लिखा गया है कि कोई भी संस्था महिला कर्मचारी कि लिखित सहमति के बिना उससे नाइट शिफ्ट नहीं करवा सकती है. अगर महिला शाम 7 से सुबह 6 बजे के बीच काम कर रही है तो कंपनी या संस्था को उसे घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाने के लिए कैब की सुविधा फ्री में देनी होगी. अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो यह श्रम कानून का उल्लंघन होगा, जिसमें जुर्माने से लेकर जेल तक हो सकती है.


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