Uttar Pradesh: बीते दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह (Chandrashekhar Singh) ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर विवादित बयान दिया था. उनके इस बयान के बाद उनके खिलाफ लगातार आमोखास के जरिये सख्त कार्रवाई करने की मांग की जा रही है. वहीं अब कांग्रेस (Congress) नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) ने भी बिहार के शिक्षा मंत्री पर विवादित बयान को लेकर, उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुख यानि डीजीपी (UP DGP) को FIR दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है.


नीतीश कुमार भी मंत्री के बयान से नाखुश


सूत्रों के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने शिक्षा मंत्री के बयान से नाखुश हैं. बिहार सरकार की कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने चंद्रशेखर सिंह से कहा कि "आप ये सब क्या बोलते रहते हैं? आपको काम पर ध्यान देना चाहिए." नीतीश कुमार की इस बात पर शिक्षा मंत्री ने जवाब भी दिया. उन्होंने कहा, "कुछ गलत नहीं बोले हैं."


बिहार में दर्ज किया गया केस


शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान के बाद बेगूसराय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय एडवोकेट अमरेंद्र कुमार एक याचिका दायर की है. इसमें उनके खिलाफ धारा 295 ए (किसी वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करना) और 153 ए के तहत मामला दर्ज करने का आवेदन दिया है. उन्होंने इस दौरान बताया था कि पिछले दिनों एक दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया गया था. आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी. इसी को लेकर शिकायत की गई है.


शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दिया था ये विवादित बयान


बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार यानि 11 जनवरी को तुलसीदास की रामचरितमानस और मनुस्मृति को "समाज में नफरत फैलाती है" कहकर विवाद खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा, "रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस हिस्से का विरोध किया गया? निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी और रामचरितमानस में कहा गया है कि निम्न जाति के लोग शिक्षा प्राप्त करने से वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीने के बाद सांप हो जाता है. 


शिक्षा मंत्री ने अपने विवादित बयान में कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने पचासी फीसदी को पिछड़ा रखने की दिशा में काम किया है. उन्होंने आगे कहा कि इन किताबों को जलाया जाना चाहिए क्योंकि ये किताबें समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा देती हैं. 


यह भी पढ़ें:


Baghpat Sinking: जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग और अब बागपत में दरार, दरकी जमीन, दर्जनभर मकानों पर खतरा