बीजेपी ने रविवार को उत्तराखंड सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. रावत 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में आए थे. रावत ने एक बार फिर कांग्रेस में जाने की घोषणा की है. हरक सिंह रावत पिछले कुछ समय से बीजेपी में विद्रोह का झंडा उठाए हुए थे. लेकिन बीजेपी उन्हें मना ले रही थी. लेकिन उन्हें पार्टी से निष्कासित कर और मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर बीजेपी ने सबको चौंका दिया. 


हरक सिंह रावत की महत्वाकांक्षा



  • दरअसल हरक सिंह रावत की राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्हें कहीं टिककर रहने नहीं देती है. इसी वजह से वो 2016 में मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने उन्हें कोटद्वार से टिकट दिया. चुनाव जीतने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया. लेकिन उनकी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से कभी नहीं पटी.

  • बीजेपी नेतृत्व ने जब रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया तो हरक सिंह रावत की महत्वाकांक्षा एक फिर जाग उठी, लेकिन बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को कुर्सी सौंप दी. इसके बाद उन्हें बीजेपी में अपने दिन अच्छे नजर नहीं आ रहे थे.

  • वो पिछले काफी समय से कांग्रेस से एक नजदीकियां बढ़ा रहे थे. साथ ही साथ वो बीजेपी से टिकटों को लेकर दबाव बनाने में भी जुटे थे. बीजेपी नेतृत्व को उनके हर कदम की जानकारी थी. इसलिए सही समय पर बीजेपी ने हरक सिंह रावत को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

  • कहा जा रहा है कि रावत विधानसभा चुनाव में अपने समेत तीन टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने उनकी मांग मानने की जगह उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना बेहतर समझा. 

  • बीजेपी में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. वो दो बार अपने मुख्यमंत्री बदल चुकी है. वहीं कांग्रेस से आए यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे पार्टी छोड़कर जा चुके हैं. वह भी ऐसे समय में जब चुनाव नजदीक आ चुका है. 


कांग्रेस में शामिल होकर क्या करेंगे


बीजेपी से निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत ने कहा है कि वो कांग्रेस की निस्वार्थ सेवा और कांग्रेस को जिताने का काम करेंगे. बीजेपी से निकलते हुए रावत ने केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह पर आरोप लगाए. हरक सिंह रावत दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.


अब सवाल यह है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस के किस काम आएंगे. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 2016 में पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को 'उज्याडू बल्द' बताया था, यानि एक ऐसा बैल जो खेती के काम नहीं आता बल्कि खेत उजाड़ने का काम करता है. हरक सिंह रावत ने भी 2016 में कांग्रेस से बगावत की थी. 


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कुछ महीने पहले यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य कांग्रेस में लौट आए थे. रावत ने इन दोनों नेताओं का जोरदार स्वागत किया था. लेकिन उज्याडू बल्द श्रेणी नेताओं पर रावत का रुख पहले की ही तरह है.


ऐसे में सवाल यह भी है कि अगर हरक सिंह रावत कांग्रेस में आएंगे तो हरिश रावत के साथ उनके रिश्ते कैसे रहेंगे. वो कांग्रेस के सियासी खेत में काम कर पाएंगे या नहीं.


हरक सिंह जिस हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर बीजेपी में गए थे, उसी हरीश रावत के पास अब उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान की कमान है.


हरीश रावत के एक ट्ववीट कर अपने राजनीतिक रसूख का प्रदर्शन प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के सामने कर दिया था. ऐसे में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने की सूरत में हरीश मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार होंगे. और अगर वो मुख्यमंत्री बनते हैं तो एक बार फिर हरक सिंह रावत को हरीश रावत के मातहत ही काम करना होगा. सवाल यह है कि क्या वो इसके लिए तैयार हैं.


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