Uttarakhand News: देहरादून के लाडपुर क्षेत्र में बीजेपी कार्यालय के लिए खरीदी गई जमीन मामले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं. जहां कांग्रेस ने इस जमीन की खरीद को लेकर अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं तो वहीं बीजेपी का कहना है कि जमीन की रजिस्ट्री हुई है. कांग्रेस बेवजह इसे मुद्दा बना रही है. हालांकि लाडपुर क्षेत्र में जमीन का मामला अभी कोर्ट में भी विचाराधीन है.
कांग्रेस ने लगाए बीजेपी पर बड़े आरोप
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाडपुर में बनने वाले बीजेपी के प्रदेश कार्यालय की जमीन की खरीद में अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं. माहरा ने आरटीआई से मांगी गई सूचनाओं से बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया है. माहरा ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की गई है क्योंकि 10 अक्टूबर 1975 के बाद यहां पर भूमि खरीद को शून्य कर दिया गया था, ऐसे में बीजेपी ने 2011 में तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर पार्टी कार्यालय बनाने के लिए जमीन कैसे खरीदी और नक्शा कैसे पास हो गया?
बीजेपी की ओर से दिया गया ये जवाब
दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस इसे बेवजह मुद्दा बना रही है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि जमीन की रजिस्ट्री की गई है और मामला कोर्ट में है जो निर्णय आएगा वो मानेंगे. भट्ट ने ये भी कहा कि हमारी पार्टी का कार्यालय ही नहीं उस पूरे एरिया में जो भी आवास हैं उन सबके सामने संकट है.
कांग्रेस ने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कोर्ट ने 10 अक्टूबर 1975 के बाद लाडपुर क्षेत्र की जमीन की रजिस्ट्री शून्य कर दी थी तो ऐसे में बीजेपी प्रदेश कार्यालय के लिए जमीन की रजिस्ट्री और यहां बनाए गये कई आवासों की रजिस्ट्री कैसे हो गई? क्योंकि रजिस्ट्री शून्य की व्यवस्था चाय बागान भूमि क्षेत्र होने की वजह से लागू की गई थी. कांग्रेस का ये भी कहना है कि अगर बीजेपी का कार्यालय वहां बनता है, तो क्या उसी क्षेत्र में सैकड़ों लोगों को भी इस तरह की छूट मिलेगी या फिर आम आदमी के लिए नियम कानून अलग होगा ?
जिला प्रशासन ने माना अतिक्रमण हुआ
इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन का कहना है कि इस पूरे क्षेत्र में बड़ी मात्रा में अतिक्रमण हुआ है. न्यायालय में लगी पीआईएल के बाद इसपर पूरा निरीक्षण कार्य हो रहा है. फील्ड स्टाफ इस पर जल्द ही अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंपेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि जब जिला प्रशासन ने अभी तक जांच में पाया है कि यहां पर बड़ी संख्या में अतिक्रमण हुआ है तो बीजेपी का प्रदेश कार्यालय भी इसी दायरे में है. ऐसे में सबकी निगाहें अब अदालत की ओर लगी हुई हैं.
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