Char Dham Yatra 2022: चार धाम यात्रा शुरु होने के 6 दिन के भीतर 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. ज्यादातर मौतें हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुई हैं. दरअसल चार धाम10,000 फीट और 12,000 फीट के बीच की ऊंचाई पर स्थित हैं इस वजह से कई तीर्थयात्रियो को हृदय संबंधी परेशानी हुई. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि, राज्य ने तीर्थयात्रियों को हेल्थ फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं किया था और न ही तीर्थयात्रियों की संख्या पर कोई सीमा तय की गई. इसके अलावा, इस वर्ष कोविड टीकाकरण प्रमाण पत्र या नकारात्मक परीक्षण रिपोर्ट को भी अनिवार्य नहीं किया गया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने कहा कि मौतें कई कारणों से हो रही हैं.  


ज्यादातर मौतें दिल के दौरे के कारण हुई हैं- डॉक्टर


उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ केएस चौहान ने कहा, “तीर्थयात्रियों की संख्या पर कोई सीमा नहीं है और इसलिए चेक पोस्ट पर भीड़ बहुत अधिक है.”लोग हेल्थ टेस्ट नहीं करा रहे हैं और अगर कोई अनफिट पाया जाता है, तो कोई दुर्घटना होने पर अंडरटेकिंग देने को तैयार हो जाते हैं." इसी तरह, रुद्रप्रयाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीके शुक्ला ने कहा, "अधिकांश मौतें दिल के दौरे के कारण और 60 से अधिक उम्र के लोगों की हुई हैं, जिन्हें बल्ड प्रेशर और शुगर जैसी कई बीमारियां थी.


स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने क्या कहा?


टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक यात्रा शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद मौतों की खतरनाक संख्या पर प्रतिक्रिया देते हुए, उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि,  दूर-दराज के राज्यों से लंबी दूरी की यात्रा करने के बाद, तीर्थयात्रियों को यह धारणा हो जाती है कि वे इन ट्रैक को भी आसानी से पार कर लेंगे. हालांकि, यहां तापमान, ऊंचाई और ऑक्सीजन के स्तर में अंतर है." उन्होंने कहा कि सभी चार धामों में सुविधाएं हैं मैंने प्रत्येक तीर्थ शहर में दो अतिरिक्त हाई-टेक एम्बुलेंस की तैनाती का भी निर्देश दिया है. हम जल्द ही तीर्थयात्रियों को अपने संबंधित राज्यों से स्वास्थ्य प्रमाण पत्र ले जाने के लिए कहेंगे, खासकर उन लोगों के लिए जो 60 से अधिक हैं. "


कहां कितने तीर्थयात्रियों की हुई मौतें


स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक तीर्थयात्रियों की मौत (8) यमुनोत्री में  हुई, उसके बाद केदारनाथ (5), गंगोत्री (2) और बद्रीनाथ (1) में हुई. मरने वालों में तेरह पुरुष और तीन महिलाएं थीं. मरने वालों में पांच उत्तर प्रदेश के, चार गुजरात के, दो महाराष्ट्र के, दो मध्य प्रदेश के और एक-एक राजस्थान, हरियाणा और नेपाल के थे. बता दें कि 2019 में, जब रिकॉर्ड 38 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा की, तो 91 तीर्थयात्रियों की मृत्यु मुख्य रूप से हृदय संबंधी समस्याओं के कारण हुई थी. इस दौरान स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य थे.


2020 और 2021 में, कोविड प्रतिबंधों के कारण यात्रा को बड़े लेवल पर आयोजित नहीं किया गया था और कोई महत्वपूर्ण हताहत नहीं हुआ था.  इस बीच, स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में यात्रा के दौरान 112 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 2018 यात्रा सीजन के दौरान 102 तीर्थयात्रियों की जान चली गई थी.


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