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Uttarakhand News: पर्यावरण संरक्षण के लिए दो भाईयों ने लगाई अनोखी दौड़, अल्मोड़ा से राष्ट्रपति भवन के लिए पैदल ही निकले
Uttarakhand News: अल्मोड़ा के रहने वाले दो भाई पर्यावरण को बचाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. ये भाई प्रकृति सरंक्षण का संदेश लेकर पैदल ही अल्मोड़ा से दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक निकल पड़े हैं.
Uttarakhand News: गले में फूलमाला, मुंह पर ऑक्सीजन मास्क और कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर लादकर ले जाते ये युवक कोई मरीज नहीं हैं. बल्कि ये तो एक दौड़ लगा रहे हैं. एक ऐसी दौड़ जो जिन्दगी के लिए हैं. एक ऐसी दौड़ जो पर्यावरण को बचाने के लिए है. इन युवकों को नाम शंकर बिष्ट और प्रमोद बिष्ट है. ये दोनों सगे भाई हैं और अल्मोड़ा के चौखुटिया के रहने वाले हैं. दोनों भाई पर्यावरण को बचाने के लिए दौड़ लगा रहे हैं और ये दौड़ कोई छोटी-मोटी दौड़ नहीं है बल्कि दिल्ली तक की है.
अल्मोड़ा से दिल्ली तक पैदल यात्रा
शंकर और प्रमोद दोनों भाई पर्यावरण संरक्षण के लिए अल्मोड़ा से दिल्ली में राष्ट्रपति भवन तक की पैदल जन-जागरुकता यात्रा पर निकले हैं. इनमें से एक भाई शंकर बिष्ट ने कंधे पर डमी ऑक्सीजन सिलेंडर और मुंह पर मास्क लगाया है तो दूसरे भाई प्रमोद ने हाथों में पौधे लिए हैं. दोनों भाई हर कदम पर एक दूसरे का पूरा साथ निभा रहे हैं. पर्यावरण के प्रति इनका विशेष लगाव है और ये उसे बचाने की गुहार लेकर राष्ट्रपति भवन तक के लिए पैदल यात्रा पर निकले हैं. अपनी पैदल यात्रा के पहले पड़ाव में दोनों भाई चौखुटिया से पैदल चलते हुए गैरसेंण और रुद्रप्रयाग से होते हुए आज श्रीनगर पहुंचे.
पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश
शंकर और प्रमोद को प्रकृति से बेहद लगाव है. इन्होंने अब तक 250 से ज्यादा चाल खालो को जीवित किया है, वहीं ढाई हज़ार से ज्यादा पौधे लगाए हैं. शंकर बताते है कि कोरोना काल में सभी को ऑक्सीजन के महत्व के बारे में पता लगा. अगर पर्यावरण को ना बचाया गया तो रोज की जिंदगी में भी सभी को कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मास्क लेकर अपना दिन हर रोज यूं ही काटना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि उनके परिवार के लोग भी उनका हौसला बढ़ाते हैं. उनके नेक ख्यालों की कद्र करते है.
शंकर और प्रमोद को प्रकृति से बेहद लगाव है. इन्होंने अब तक 250 से ज्यादा चाल खालो को जीवित किया है, वहीं ढाई हज़ार से ज्यादा पौधे लगाए हैं. शंकर बताते है कि कोरोना काल में सभी को ऑक्सीजन के महत्व के बारे में पता लगा. अगर पर्यावरण को ना बचाया गया तो रोज की जिंदगी में भी सभी को कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर और मास्क लेकर अपना दिन हर रोज यूं ही काटना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि उनके परिवार के लोग भी उनका हौसला बढ़ाते हैं. उनके नेक ख्यालों की कद्र करते है.
लोगों के लिए बने मिसाल
जब प्रमोद से पूछा गया कि यात्रा के दौरान दिक्कतें आ रही होंगी तो उन्होंने हंस कर कहा कि ईश्वर के काम में अगर तकलीफ हो जाये तो क्या बुरा है. उन्होंने कहा कि बस लोग समझे कि जगलों में आग लगाना कितना भयावह हो रहा है. हवा में भी इसके चलते जहर घुलने लगा है. ऐसे लोगों पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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