38th National Games: राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में बचे 77 दिन, खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए नहीं शुरू हो पाया कैंप
Uttarakhand News: राष्ट्रीय खेलों की तारीख की घोषणा नौ अक्तूबर को हुई थी, जिसमें जल्द ही कैंप शुरू करने की बात कही गई थी ताकि प्रतिभागी खिलाड़ी अपनी तैयारियों को समय पर पूरा कर सकें.
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38th National Games: 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में तेजी की उम्मीद में एक और महीना गुजर गया, लेकिन खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए अभी तक कैंप नहीं शुरू हो पाए हैं. राष्ट्रीय खेलों की तारीख की घोषणा के बाद से कई बार कैंप लगाने की घोषणाएं हुईं, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर अब तक कुछ नहीं हुआ है. खेलों के आयोजन के लिए अब केवल 77 दिन बचे हैं और इस महत्वपूर्ण आयोजन की तैयारियों पर संशोधन के लिए इंतजार बढ़ता जा रहा है. इस देरी की वजह एक शासनादेश में अपेक्षित संशोधन है, जिसके न आने से उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन (यूओए) और खेल निदेशालय के बीच खींचतान जैसी स्थिति बन रही है.
खेल निदेशालय के अधिकारियों का मानना है कि पिछले कुछ दिनों से संशोधित शासनादेश आने की उम्मीद जताई जा रही है. शुक्रवार को इस आदेश के आने की संभावनाएं थी और अधिकारियों ने लगभग यह निश्चित मान लिया था कि शाम तक आदेश जारी कर दिया जाएगा. हालांकि, शाम बीत गई और आदेश नहीं आया. फिर यह उम्मीद शनिवार सुबह पर टिकी रही. इसी क्रम में खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के बीच एक बैठक भी निर्धारित की गई, जिसमें कैंप की तारीख तय करना प्रमुख एजेंडा था. शनिवार सुबह बैठक हुई, लेकिन संशोधन आदेश न होने के कारण बैठक में कैंप के मुद्दे पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका.
खिलाड़ी अन्य प्रतियोगिताओं में व्यस्त
राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों के संदर्भ में खेल निदेशालय, उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के पास आयोजन की जिम्मेदारी है. सरकार और खेल निदेशालय की ओर से यह जिम्मेदारी उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन को दी गई है कि वह खिलाड़ियों के कैंप का आयोजन करे, जबकि सरकार वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन करेगी. हालांकि, यूओए ने स्पष्ट किया है कि कैंपों के आयोजन के लिए एक पूर्व शासनादेश में संशोधन की आवश्यकता है. यूओए के अधिकारियों का कहना है कि जब तक शासनादेश में संशोधन नहीं होता, तब तक कैंप की तारीख तय करना संभव नहीं हो पा रहा है.
खेल निदेशालय का कहना है कि उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन कैंप को जल्द शुरू नहीं कर सकता, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी इस समय देश के बाहर या अन्य प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं. कुछ खिलाड़ी अपने-अपने राज्यों में नौकरी कर रहे हैं, और उन सभी को उत्तराखंड बुलाने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता होगी. यूओए का कहना है कि जैसे ही उन्हें कैंपों के आयोजन के लिए आवश्यक आदेश मिलते हैं, वे अपने स्तर पर तैयारी पूरी कर लेंगे. इस बीच, अनुमान लगाया जा रहा है कि आदेश के संशोधित स्वरूप में अपेक्षित संसाधनों की व्यवस्था भी स्पष्ट हो जाएगी.
घोषणाओं के बाद भी शुरू नहीं हुए कैंप
राष्ट्रीय खेलों की तारीख की घोषणा नौ अक्तूबर को हुई थी, जिसमें जल्द ही कैंप शुरू करने की बात कही गई थी ताकि प्रतिभागी खिलाड़ी अपनी तैयारियों को समय पर पूरा कर सकें. इसके बाद 26 अक्तूबर से कैंपों की शुरुआत की घोषणा हुई थी, लेकिन वह तारीख भी बिना किसी ठोस परिणाम के टल गई. इसके बाद दीपावली के तुरंत बाद कैंप शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन यह भी समय पर नहीं हो पाया. अब अगले 77 दिनों के भीतर कैंपों के आयोजन को सुनिश्चित करना एक चुनौती बन गया है, क्योंकि इस समयावधि में खिलाड़ियों को तैयार करना और जरूरी प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण है.
पूर्व शासनादेश के अनुसार, कैंप के आयोजन के लिए एक समय सीमा तय की गई है. लेकिन राष्ट्रीय खेलों के नजदीक आते हुए समय को देखते हुए उस समय सीमा में संशोधन की आवश्यकता है. इसके अलावा, चूंकि राष्ट्रीय खेल में कई राज्यों के खिलाड़ियों की भागीदारी होगी, इसलिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए विशेष संशोधनों का इंतजार किया जा रहा है.
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खेलों की तैयारी पर बढ़ता दबाव
राष्ट्रीय खेल जैसे बड़े आयोजन की तैयारियों में अपेक्षित तेजी नहीं दिखने से राज्य की खेल प्रशासन व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है. उत्तराखंड में पहली बार राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हो रहा है, और राज्य का खेल विभाग इसे सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक संसाधनों का प्रबंध करने का दावा कर रहा है. हालांकि, खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के बिना प्रतियोगिता के मानकों को पूरा कर पाना कठिन हो सकता है. इसके अलावा, विभिन्न खेल परिसरों में संरचनात्मक सुधार और बुनियादी सुविधाओं की स्थापना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो खिलाड़ियों की आवश्यकता अनुसार होना चाहिए.
कुल मिलाकर, राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों के लिए केवल दो महीने से कुछ अधिक समय बचा है, लेकिन कैंप की शुरूआत में हो रही देरी से आयोजन पर सवाल खड़े होने लगे हैं. खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के बीच समन्वय की कमी को देखते हुए अब इस आयोजन की सफलता के लिए त्वरित निर्णय और ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है.
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