Uttrakhand News: केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति (Education Policy) के तहत छात्रों के एडमिशन के लिए सीयूईटी (CUET) यानी कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (Common University Entrance Test) को अनिवार्य कर दिया है. ऐसे में उत्तराखंड (Uttarakhand) से 5 लाख छात्र-छात्राओं ने सीयूईटी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण (Online Ragistration) करवाया है, लेकिन अभी तक ये परीक्षा आयोजित नहीं हो पाई है. जिससे छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. 


CUET के एग्जाम में देरी
CUET परीक्षा बीती 4 अगस्त, 5 अगस्त, 7 अगस्त, 11 अगस्त और 12 अगस्त को होनी थी, लेकिन अब तक ये टेस्ट नहीं हो सके हैं. जिससे छात्रों को अपने सेंटरों से बिना टेस्ट दिए ही खाली हाथ घर लौटना पड़ा. अभी तक सिर्फ 6 अगस्त को ही एक दिन सीयूईटी का एग्जाम हो पाया है. उत्तराखंड में सीयूईटी के लिए 11 शहरों को चुना गया था. जिसमें पौड़ी, श्रीनगर, हरिद्वार, रुड़की, देहरादून, टिहरी, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, उधमसिंह नगर और नैनीताल में सेंटर बनाए गए थे. ऐसे में सीयूईटी एग्जाम न होने से हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में जुलाई महीने में शुरू होने वाला सत्र आगे खिसकने की संभावना भी बढ़ गई है.


छात्रों ने लगाया ये आरोप


एचएनबी गढ़वाल विवि के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अंकित रावत का कहना है कि बिना किसी तैयारी के ही छात्रों के ऊपर सीयूईटी को थोपा गया है. आज स्थिति ये है कि छात्र परीक्षा केंद्रों तक जा रहे हैं, लेकिन वे बिना परीक्षा दिए ही घर वापस लौट रहे हैं. ऐसे में छात्रों के समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है. छात्र खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
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गढ़वाल यूनिवर्सिटी ने दी सफाई
दूसरी ओर गढ़वाल विवि के सहायक कुलसचिव अरविंद कुमार का कहना है कि छात्रों की ओर से बार-बार शिकायत की जा रही है कि टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं. इसके संबंध में यूजीसी को भी अवगत करवा दिया गया है. उन्होंने बताया कि यूजी में 2 लाख 56 हजार और पीजी में 3 लाख छात्रों ने उत्तराखंड से सीयूईटी एग्जाम के लिए अप्लाई किया है. उन्होंने ये भी बताया कि परीक्षा न होने के कारण सत्र भी पीछे खिसक रहा है. पहले जुलाई महीने तक नया सत्र शुरू हो जाता था. लेकिन इस बार अभी तक प्रवेश परीक्षा ही नहीं हो पाई. 


UGC और एनटीए की लापरवाही से उत्तराखंड में केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने की चाह रखने वाले छात्रों का भविष्य अधर में अटक गया है, वहीं परीक्षा की स्थिति स्पष्ट ना होने से छात्रों में असमंजस की स्थिति भी बनी है, जिसके कारण छात्रों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है. 


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